सुप्रीम कोर्ट का न्यायसंवत फैसला, अब राज्य सरकार करवाये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

 स्कूल फीस मसले पर सुप्रीम फैसला - पूर्व आदेश को मोडिफाई करने किया इनकार, निजी स्कूलों को लगा करारा  झटका

     जयपुर। शुक्रवार को सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट और प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए. एम खानविलकर की बेंच ने 03 मई 2021 को दिए आदेश को मोडिफाई करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी, साथ ही स्कूलो की मांग पर फीस के आभाव में बच्चों को डिबार करने की मांग को भी निरस्त करते हुए स्पष्ट शब्दों ने किसी भी बच्चे को फीस के चलते डिबार नही करने के पूर्व आदेश को बरकरार रखा। शुक्रवार को आये सुप्रीम कोर्ट आये आदेश को संयुक्त अभिभावक संघ ने न्यायसंवत करार दिया है और निजी स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट का करारा झटका करार दिया है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके फीस वसूलने और फीस के अभाव में विद्यार्थियों की क्लास बन्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए अपने पूर्व आदेश को ही बरकरार रखा है सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट और प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन सहित सभी स्कूल लगातार सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और अब दुबारा गुमराह करने का प्रयास के रहे थे जिसमें उन्हें सफल नही होने दिया गया। 03 मई के आदेश में स्कूल एसोसिएशन ने एफिडेविट पेश कर फीस एक्ट लागू होने और एक्ट के अनुसार फीस निर्धारित होने का दावा किया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट के अनुसार फीस वसूलने के आदेश दिए थे, अब यही स्कूल एसोसिएशन ने याचिका लगा कर दुबारा कोर्ट को गुमराह करने की साजिश रची जिसमे वह विफल हो गए इस बार स्कूल एसोसिएशन याचिका में कहा था कि ना हमने फीस एक्ट लागू किया और ना एक्ट के अनुसार फीस निर्धारित की हुई है इसलिए सुप्रीम कोर्ट पूर्व आदेश को मोडिफाई करे और स्कूलो द्वारा निर्धारित फीस वसूलने के आदेश दिए जाएं।

     फीस के आभाव में कोई भी स्कूल बच्चों की पढ़ाई नही रोक सकता, कानूनसंवत तरीके से स्कूल फीस वसूल सकते है

     प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि सुनवाई के दौरान स्कूलों की एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय 03 मई 2021 जिसके तहत फीस नहीं चुकाने के कारण किसी भी बच्चे की पढ़ाई नही रोकी जा सकेगी को हटाया जाने की माँग की थी जिसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज। उच्चतम न्यायालय ने  अभिभावकों द्वारा फ़ीस नहीं चुकाने की स्तिथि में स्कूलों को पुनः राहत देते है हुए आदेश दिया कि " स्कूल संचालक फीस वसूली के लिए स्वतंत्र है किंतु स्कूलों को फीस वसूली के लिए क़ानूनी प्रावधानों और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। फीस जमा ना करवा पा रहे अभिभावकों की बात को सुनना होगा और न्यायोचित फैसला करना होगा। आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट आदेश दिए है कि अगर कोई स्कूल संचालक अधिक फीस वसूल रहा है तो सम्बंधित विभाग को अभिभावक की शिकायत कर कार्यवाही करनी होगी, अभिभावक चाहे तो वह न्यायलय में भी जा सकता है।

     सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवाये राज्य सरकार, बिना फीस एक्ट लागू किये फीस जमा नही करवाएंगे अभिभावक

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि लगातार दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों की याचिका पर अपना फैसला सुनाया है पूर्व में 03 मई 2021 को फैसला आया था किंतु आज दिनांक तक भी ना राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाई और ना शिक्षा विभाग ने आदेश की पालना करवाई, सरकार और विभाग के इस रवैये के चलते निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से अभिभावकों पर दबाव बनाया, विद्यार्थियों की क्लास बन्द की जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना थी.

      संयुक्त अभिभावक संघ चाहता तो कोर्ट की अवमानना का केश दर्ज करवा सकता था किंतु स्कूल और अभिभावक के रिश्तों को खराब नही करना चाहते थे और वार्ता कर हल निकालने का प्रयास किया जा रहा था उसके बावजूद स्कूल की एसोसिएशन अभिभावकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई और मुंह की खाकर वापस आई, सक्षम अभिभावक आज भी फीस चुकाने को तैयार है किंतु स्कूल कोर्ट के आदेश की पालना के अनुसार फीस नही मांगकर मनमाने तरीके से फीस मांग रहे है और अभिभावकों व विद्यार्थियों को डरा-धमका रहे है साथ ही उन्हें अपमानित भी कर रहे है। अब भी अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित नही की गई और राज्य सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा नही करवाई गई तो संयुक्त अभिभावक संघ न्यायलय की शरण मे जाएगा और बकायदा कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज करवाएगा।