चल, तेरा समय आ गया

 (लघु कथा)

लेखक:- नरेन्द्र सिंह बबल

     एक महा झूठा और मक्कार व्यक्ति था | वह  सबसे झूठ बोलता रहता और जब भी उसकी पोल खुलने वाली होती तो वह आँसू बहाने लगता | सभी उसकी इस झूठ वाली आदत और मक्कारी से परेशान थे | एक दिन की बात है यमराज जी उसे लेने आये | उसकी जीवन रेखा समाप्त ही चुकी थी | अब उसे पृथ्वी लोक से यम लोक जाना होगा | यमराज  उससे बोले ,' चल मानव तेरा वक़्त आ गया है | अब तुझे यह संसार छोड़कर यमपुरी जाना होगा| वहां तेरे कर्मों का लेखा जोखा देख कर तुझे नरक या स्वर्ग में से कोई एक स्थान आवंटित किया जाएगा | 

     यम धर्मराज की बात सुन कर उस व्यक्ति की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई | वह मरना नहीं  चाहता था | वह धरती पर कई वर्षों तक जीना चाहता था | इस लिए उसे एक मक्कारी सूझी | वह हाथ जोड़कर आँखें नम करके बोला ,' हे यमराज जी, आपने मेरे सपने में आ कर मुझे आशीर्वाद दिया था कि तू डेढ़ सौ वर्ष तक जीयेगा | अब आप अपने ही दिये हुए वरदान को निष्फल कैसे कर सकते  हैं प्रभु?  इससे तो आपकी तीनों लोकों में किरकिरी हो जाएगी |'

     यमराज जी समझ गए कि यह  मनुष्य बहुत ही चालाक खोपड़ी है और ऊपर से धूर्त और मक्कार भी है | तो इसे इसी की चाल में जबाव देना होगा | यमराज जी मुस्कराते हुए बोले,' हाँ ! वत्स  तुमने सही कहा परन्तु तुम भी अपनी ही कही बात भूल गये |  तुमने कल मेरे सपने में आकर कहा था कि हे यम धर्मराज मेरा पृथ्वी लोक से जी भर गया है | यहां छल, कपट, धोखा, झूठ और मक्कारी इतनी बढ़ गई है कि अब मेरा पृथ्वी लोक पर दम घुटने लगा है इसलिए हे प्रभो मैं आप के लोक यम लोक आना चाहता हूँ,  मुझे लम्बी आयु नहीं चाहिए | वरदान में दी गई आयु को आप वापस ले कर मुझ पर कृपा करें प्रभो |' 

     यमराज आगे बोले,' तो हे पुत्र हमने तुम्हारी व्यथा और पीड़ा को समझ कर  तुम्हारी इच्छा के अनुसार लम्बी उम्र का वरदान कैंसिल करके तुम्हें यमलोक में अतिशीघ्र लाने का वरदान दिया था | इसलिये चल , यमलोक चलने का अब तेरा समय आ गया है |' यमराज ने अट्टहास करते हुए उस मनुष्य को अपने पाश में कसा और ले चले उसे यमपुरी |