संयुक्त अभिभावक संघ की स्कूल और सरकार से अपील

News from - Abhishek Jain Bittu 

सतर्कता के साथ सख्ती दिखाए सरकार, सार्वजनिक, राजनीतिक कार्यक्रमो पर लगे प्रतिबंध, फिलहाल कुछ दिनों तक ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन करें बंद

     जयपुर। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों ने एक बार फिर प्रदेशभर की धड़कने तेज कर दी है। बड़े-बुजुर्गों सहित बच्चों में फैलते संक्रमण से अभिभावकों सहित प्रत्येक वर्ग चिंतित है। दो दिन पहले राज्य सरकार ने अभिभावकों की मांगों को मानते हुए अनिवार्यता के साथ ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के निर्देश देने के साथ ही स्कूल में जांच के लिए जांच कमेटी भी भेजना शुरू कर चुकी है। 

     बढ़ते कोरोना के मामलों को देखकर रविवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूलों और सरकार से अपील करते हुए मांग की है कि " प्रदेश में सतर्कता के साथ सख्ती की सख्त आवश्यकता आन पड़ी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश के भलाई के लिए सख्ती बरतते हुए सार्वजनिक स्थलों और राजनीतिक कार्यक्रमो पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए। केवल जनता को दोष देने से कोरोना संक्रमण पर काबू नही पाया जा सकता है आखिरकार जनता को लापरवाही बरतने की छूट भी तो राज्य सरकार ने दी है। संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य सरकार को गंभीरता दिखाते हुए सार्वजिनक कार्यक्रमो, भीड़-भाड़ वाले स्थलों और राजनीतिक कार्यक्रमो सहित स्कूलों में फिलहाल कुछ दिनों के लिए ऑफलाइन कक्षाओं का पूरी तरह संचालन बन्द कर देना चाहिए। 

     संघ विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि प्रदेश में दिन-प्रतिदिन कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है और अब कोरोना के नए वेरिएंट की भी बात चल रही है। नया वेरिएंट अति घातक भी बताया जा रहा है। जिसके चलते समाज जा प्रत्येक वर्ग और अभिभावक अपने और अपनों के स्वास्थ्य के लिए गम्भीरता से चिंतन कर रहा है। केवल आमजन पर लापरवाही का आरोप लगाने से सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नही झाड़ सकती है। जिस प्रकार राज्य सरकार ने 15 नवम्बर से पूरी क्षमता के साथ स्कूल, कॉलेज, कोंचिंग, शादी समारोह की इजाजत दी, पूरी क्षमता के साथ अंतराष्ट्रीय मैच सम्पन्न करवाया। उसके चलते प्रदेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे है। 

     सरकार की इस अनुमति पर संयुक्त अभिभावक संघ ने आदेश के उपरांत ही चिंता जाहिर की थी और सरकार से आदेश वापस लेने की भी मांग की थी किन्तु राज्य सरकार ने अपना हठ कायम रखा, जिसका परिणाम आज सभी को भुगतना पड़ रहा है। बेसक राज्य सरकार अकेली कोरोना महामारी से नही लड़ सकती है आमजन को भी अपना शतप्रतिशत देना होगा किन्तु राज्य सरकार को भी सतर्कता और नसीहतों से परे हटकर सख्ती दिखानी होगी। 

भीड़-भाड़ दिन में कर्फ्यू रात्रि में क्यो

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि " राज्य सरकार ने बढ़ते कोरोना के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए रात्रि में 9.30 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाया है। राज्य सरकार का यह निर्णय समझ से परे है। क्योकि भीड़-भाड़, चहल-पहल दिन में रहती है और सख्ती के आदेश रात्रि के निकाले जा रहे है। क्या कोरोना रात को टहलने निकलता है या कोरोना रात में ही फैलता है। दिनभर बाजारों, सार्वजिनक कार्यक्रमो, राजनीतिक कार्यक्रमो और मंत्री व नेताओ की सभाओं में भीड़ उमड़ती है। जहाँ लोग एक-दूसरे के सम्पर्क में भी आते है, ना सोश्यल डिस्टेंसिनग का पालन होता है, ना कोरोना जांच होती है, ना टेम्प्रेचर नापा जाता है, ना दो गज की दूरी बनाई जाती है यहां तक कि अब इन कार्यक्रमो सेनेटाइजर तक कि व्यवस्था तक हटा दी गई है। 

     ऐसे में राज्य सरकार को सार्वजिनक कार्यक्रमो, भीड़-भाड़ वाले आयोजनों, राजनीतिक व सामाजिक सहित मंत्री, नेताओ की सभाओ व स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों में फिलहाल सतर्कता बरतने के लिए कुछ दिनों के लिए ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन रोक देना चाहिए। राज्य सरकार ने शादी समारोह को गंभीरता से लिया और वापस 50 लोग की क्षमता निर्धारित की जो स्वागत योग्य कदम है इसी प्रकार सभी सार्वजिनक कार्यक्रमों में रोक लगाने की सख्त आवश्यकता है।