संचालकों की हठधर्मिता से गहराया स्कूलों पर संकट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के कारण रुकी स्कूलों की फीस - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के बयान की संयुक्त अभिभावक संघ ने की निंदा, कहा "हठधर्मिता छोड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करें स्कूल्स "

     जयपुर। निजी स्कूलों की फीस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन की याचिका पर सत्र 2020-21 की फीस का 85 प्रतिशत के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने 03 मई को स्कूल फीस एक्ट 2016 की पालना की बात भी कही थी किन्तु प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन लगातार अभिभावकों को गुमराह कर गलत तथ्य रखकर अपनी हठधर्मिता का प्रदर्शन कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के द्वारा शनिवार को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि " संचालकों की हठधर्मिता के चलते स्कूलों पर संकट गहराया, स्कूल्स अगर समय से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित कर देते तो संकट नही गहराता। " स्कूल्स को हठधर्मिता को छोड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करनी चाहिए। " 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में निजी स्कूल्स अभिभावकों के साथ सभी तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर जबर्दस्ती दबाव बना रहे है। 03 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए थे, किन्तु अब स्कूल्स एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर स्कूल और प्रशासन को लागतार गुमराह कर रहे है। 03 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था अगर स्कूल्स उसकी पालना कर रहे होते तो वह दुबारा सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटीशन पर जाते ही क्यो जिसका फैसला 1 अक्टूबर को आया था। रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल्स एसोसिएशन को कड़ी फटकार भी लगाई किन्तु आज दिनांक तक भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना तय नही की गई है। ऐसे में स्कूल्स एसोसिएशन अपने स्वयं के द्वारा लाये संकट का ठीकरा अभिभावकों पर ना फोड़े। 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि अभिभावकों की लड़ाई संचालकों की हठधर्मिता से है किसी भी स्कूल को बंद करवाना ना अभिभावकों का मकसद है ना संयुक्त अभिभावक संघ का मकसद है। स्कूल संचालक चाहे तो स्कूल और अभिभावकों के गतिरोध को एक बैठक के साथ तत्काल समाप्त कर सकते है किंतु स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेश ना स्वीकार कर रहे है, फीस एक्ट 2016 को लागू कर रहे है और ना ही फीस को निर्धारण करने वाली जानकारियों को अभिभावकों के साथ साझा कर रहे है। 

     जबकि अभिभावक स्कूलों को कह चुके है कि फीस का निर्धारण कानून के तहत करे, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा है का पूरा भुगतान अभिभावक करने को तैयार है। किंतु जब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 की पालना तय नही होगी अभिभावक स्कूलों को भुगतान नही करेगा। ऐसे में स्कूल्स एसोसिएशन अपनी कमियों का ठीकरा अभिभावकों और अभिभावकों की एसोसिएशन पर ना फोड़े। अभिभावक शिक्षा और शिक्षा के मंदिरों के साथ सदैव खड़ी है लेकिन शिक्षा के व्यापारियों के साथ बिल्कुल भी नही खड़ी है।