NRI मोनिका के Bank Account से 65 लाख की धोखाधड़ी

 मोनिका को न्याय कब मिलेगा ? 

चित्रकूट थाना आला अफसरों की भी नहीं सुनते 

65 लाख की धोखाधड़ी की शिकार मोनिका ने लगाये पुलिसिया कार्यवाही पर गम्भीर आरोप  

विकास शर्मा क्यों है अब तक गिरफ्त से दूर ?

     जयपुर। मामला है इंडसइंड बैंक की अजमेर रोड ब्रांच का। जहाँ मोनिका का एनआरआई अकाउंट था। उस दौरान मोनिका हांगकांग में सर्विस करती थी और उनका वेतन इस बैंक में ट्रांसफर होता था। इंडसइन्ड बैंक, अजमेर रोड ब्रांच के तात्कालीन मैनेजर विकास शर्मा ने मोनिका को इन्वेस्टमेंट की अच्छी स्कीम्स और रिटर्न का झांसा देकर दो तीन किस्तों में लगभग 65 लाख रुपए अपने स्वयं के खाते में ट्रांसफर करवा लिए। मोनिका ने कुछ दिनो बाद जब इन्वेस्टमेंट और अपने पैसों की बात विकास शर्मा से की तो वह टालमटोल करने लग गया।
(पीडिता मोनिका)
     इस बीच उसका इस ब्रांच से ट्रांसफर हो गया। मोनिका को जब अपने साथ हुई धोखाधड़ी का एहसास हुआ तो उसने जयपुर के चित्रकूट थाने में एफ आई आर दर्ज कराई लेकिन पुलिस की सुस्त चाल के चलते मोनिका को अबतक कोई न्याय नहीं मिला। इस दौरान मोनिका ने आला अफसरों से इस प्रकरण संबंधी अपनी बात बताई। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल लांबा ने डीसीपी, पश्चिम ऋचा तोमर को इस मामले की जांच कर तुरंत बताने को कहा। रिचा तोमर ने चित्रकूट थाने में सख्त निर्देश दिए कि तुरंत विकास शर्मा को गिरफ्तार किया जाए। लेकिन आज 90 दिन तक चित्रकूट थाना विकास शर्मा को पकड़ पाने में असमर्थ रहा।
(मोनिका के साथ 65 लाख की धोखाधड़ी करने का आरोपी विकास शर्मा)

     ध्यान देने की बात है कि जब भी डीसीपी कार्यालय से विकास शर्मा बाबत कोई निर्देश जारी होते तो वह सूचना विकास शर्मा तक तुरंत पहुंच जाती और वह कोर्ट में वकालतनामा दाखिल कर देता। इसी दौरान उसने 482 और 438 की याचिका भी लगाई। जिसमें मामले की गंभीरता को समझते हुए कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। अभी कुछ दिनों पूर्व माननीय उच्च न्यायालय के सामने विकास शर्मा ने मोनिका के पैसे लौटाने का वादा किया जो कि कोर्ट की प्रोसिडिंग में शामिल भी है। लेकिन 9 दिसंबर को विकास शर्मा ने कोर्ट के सामने पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाने का बहाना बनाया। जिसे जज साहब ने विकास शर्मा की बदनियति भांपते हुए उसका प्रोटक्शन निरस्त करने के आदेश दिये। 

     पीडिता मोनिका ने आरोप लगाते हुए बताया की अब तक विकास शर्मा चित्रकूट थाने की गिरफ्त से दूर क्यों है ? कैसे विकास शर्मा तक आला अफसरों द्वारा निर्देशित सूचनाएँ पहुंच जाती है ? क्या चित्रकूट थाना अधिकारी व आईओ वासुदेव की कोई सांठगांठ है विकास शर्मा से ? अब जब तस्वीर साफ हो चुकी है कि विकास शर्मा कबूल कर चुका है कि मोनिका को वापस पैसा देने के लिए. तो फिर इतने दिनों से विकास शर्मा बाहर क्यों है ? क्या चित्रकूट थाने को पुलिस की स्वच्छ छवि का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है ? यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है की मोनिका को न्याय कब मिलेगा?