किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का आकलन

News from - गोपाल सैनी  (कार्यालय सचिव)

     जयपुर। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सरकार ने चना एवं सरसों के विक्रय हेतु पंजीयन ऑनलाइन आज से आरंभ किया है। इस वर्ष सरसों के भाव तो न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है, इस कारण उसके पंजीयन की किसी को आवश्यकता नहीं है किंतु चने के भाव 4600 रुपये प्रति क्विंटल के लगभग है जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपये प्रति क्विंटल है. प्रति क्विंटल 620 रुपये से अधिक का अंतर होने के कारण चना बेचने के लिए पंजीयन हेतु किसान सुबह से ही ई मित्र केंद्र पर पहुंच गये. किंतु वेबसाइट सही नहीं चलने के कारण किसान दिन भर भूखे रह कर तपस्या करते रहे. 

      तब भी उनका पंजीयन नही हो सका. 5:30 बजे के आसपास राजफेड से जानकारी आई  कि 6815 किसानों का पंजीयन हो गया. लोगों के मन में संशय है कि जब साइट सही प्रकार से चली ही नहीं तो पंजीयन किनका हो गया ? इस संशय को दूर करने के लिए सरकार को जिनका पंजीयन हुआ है उनकी सूची प्रकाशित करनी चाहिए। 

     ज्ञात रहे की पिछले वर्षो में व्यापार करने वाले ने मिलीभगत से पंजीयन करवा लिये थे जिनको जाँच के उपरांत निरस्त कर दिया गया था. जिन लोगों का चना खरीदने की पहले से ही तालमेल हो चुका है, उनका तो ऑनलाइन पंजीयन हो जाता है किंतु पसीना बहा कर चना पैदा करने वाले साधारण किसान पंजीयन से वंचित रहते हैं. यह किसानों में चर्चा का विषय भी हैं और उनका दर्द भी है कि जो अपने चना का उत्पादन करता है.

     उसको तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता तथा बिना पसीना बहाए एक क्विंटल पर 620 रुपये तक का लाभ लेने का काम अनेक लोग करते हैं. किसान महापंचायत की ओर से पंजीयन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से पंजीयन का सुझाव दिया गया. ऑफलाइन पंजीयन ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं खरीद केंद्रों पर हो सकता है और वे उसे ऑनलाइन राजफेड तक पहुंचाने का काम कर सकते हैं. इस व्यवस्था को लागू नहीं करने से संशय गहराता है. 

     जनता में धारणा बनती है कि दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है ! इसको ठीक करने के लिए सरकार को सम्पूर्ण प्रणाली में पारदर्शिता लाना चाहिए जो अभी तक दिखाई नहीं देती और पारदर्शी व्यवस्था से दूर रहना भ्रष्टाचार का कारण बन जाता है. इसके लिए इस सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।

(Note - सलग्न-छायाचित्रो में पंजीयन की प्रतीक्षा में अजमेर जिले में अराई, जयपुर जिले में दूदू तहसील के किसान है.)