News from - गोपाल सैनी
जयपुर. 1 अप्रैल से खरीद की घोषणा करने के उपरांत भी 11 दिन तक भी खरीद नहीं होने से चने के दामों में 1 क्विंटल पर 150 रुपये टूट गये । इसके पूर्व बाजार भाव प्रति क्विंटल 4550 से लेकर 4900 रुपए चल रहे थे, घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपये प्रति क्विंटल है । किसानों को 1 क्विंटल चना पर 330 से लेकर 680 रुपए प्रति क्विंटल दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम प्राप्त हो रहे थे अब 480 से लेकर 830 रुपये प्रति क्विंटल घाटा उठाना पड़ेगा ।
अभी तक सीकर, नागौर एवं चूरू जिलों में ही खरीद आरंभ की गई, अन्य जिलों में तो खरीद का श्रीगणेश भी नहीं हुआ, इनमें भी मात्र 90 मेट्रिक टन चना की खरीद की गई । कुल उत्पादन 23 लाख मैट्रिक टन में से यह खरीद ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं है जबकि अभी तक मंडियों में 30,50,000 क्विंटल चना आ चुका है । जिसे घाटा उठाकर बेचने के लिए किसानों को विवश होना पड़ा. इसके लिए राज्य सरकार दोषी है ।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना खरीद नहीं होने के कारण 1 क्विंटल पर औसत घाटा 500 रुपये माने तो भी राज्य के किसानों को 1,52,50,00,000 ( एक सौ बावन करोड़ पचास लाख) रुपए का घाटा अब तक हो चुका है । जिसकी भरपाई राज्य सरकार को करनी चाहिए और इस राशि की वसूली उत्तरदाई अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन से करनी चाहिए, जिससे भविष्य में कोई चूक नहीं करें । खरीद नहीं करने से भंडारण करने वाले बड़े व्यापारियों को ही लाभ हो रहा है फिर भी अधिकारी खरीद नहीं करने का बहाना किसानों के माथे ही थोप रहे हैं ।
इसलिये दूदू में तीन दिन पहले राजफेड के प्रबंध संचालक की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में सभी अधिकारियो ने खरीद 13 अप्रैल से करने का प्रस्ताव पारित किया और उस का कारण बताया गया की किसान 13 अप्रैल से पहले चना बेचना नही चाहते ! आश्चर्य यह है की इस बैठक में न तो किसानो से पूछा गया न ही बैठक में बुलाया गया लेकिन फिर भी निर्णय किसानो ने नाम पर कर लिया गया कि किसान चाहते हैं कि अभी खरीद चालू नहीं हो ।