गेहूं के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाना किसान विरोधी मानसिकता का परिचायक

 News from - kisan महा-पंचायत

     जयपुर .देश में खाद्यान्नों के भंडार 636.14 लाख टन होते हुए भी केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1992 का दुरुपयोग करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा के नाम पर गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया । जिससे गेहूं के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल गिर गए इस से किसानो का घाटा बढ़ गया ।अब किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्राप्त नहीं हो सकेगा ।

अभी तक किसानों को एक क्विंटल पर 2200 से 2300 रुपये  प्राप्त हो रहे थे जिससे लागत C-2 तो प्राप्त नहीं हो रही थी किन्तु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो रहा था l जबकि देश में गेहूं का भंडारण भी 260 लाख टन की आवश्यकता के विरुद्ध 1 जनवरी 2022 को 330 लाख टन था। अभी मई माह में भी यह भण्डारण 303 लाख टन है । 

गरीबों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत ₹2 किलो गेहूं या चावल प्राप्त करने का अधिकार है l गरीबों की दृष्टि से तो निर्यात पर प्रतिबंध की आवश्यकता ही नहीं थी, तब भी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और किसानों को गेहूं के लागत मूल्य से भी वंचित करने का काम किया l दूसरी और खेती में प्रयुक्त होने वाले डीजल में होने वाली निरंतर वृद्धि को नियंत्रित नहीं कर खेती की लागत बढ़ाने का काम किया है l इस में केंद्र सरकार की किसान विरोधी मानसिकता की झलक दिखाई देती है l