News from - गोपाल सैनी
नई दिल्ली। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में जंतर मंतर, नई दिल्ली पर सरसों सत्याग्रह में गहन चिंतन - मंथन के उपरांत देश के किसानों ने अपने-अपने उत्पादों के मूल्य निर्धारण हेतु निश्चय किया है । प्राणी मात्र का पेट भरने वाले का पेट खाली रहे तो यह गंभीर विचारणीय विषय है । मूल उत्पादन कृषि क्षेत्र से ही होता है बाकी तो उसके रूप परिवर्तन है ।
कृषि क्षेत्र के उत्पादन एवं निजी दैनिक उपभोग के लिए प्राप्त होने वाली सामग्री एवं साधन उद्योग जगत से प्राप्त होते हैं, जो अपने उत्पाद का मूल्य निर्धारण स्वयं करते हैं । जबकि कृषि उत्पादों का मूल्य निर्धारण लावारिस वस्तु की भांति नीलामी के द्वारा उनके द्वारा किया जाता है, जो कृषि क्षेत्र से संबंध नहीं रखते । इसी का परिणाम है कि प्राणी मात्र का पेट भरने के लिए उत्पादन करने वाले का पेट खाली है ।
जो उसी उत्पादन का रूप परिवर्तन करता है, उसकी पांचो उंगली घी में है । कृषि उत्पादों को बाजार में बेचने जाने पर उसको कहा जाता है कि तुम्हें देना हो तो दो नहीं तो हटो यहां से। वही उत्पादक जब कृषि में प्रयुक्त होने वाली साधन एवं सामग्री को खरीदने जाता है तो उसे कहा जाता है लेना हो तो लो वरना हटो यहां से । यानि दोनों स्थितियों में ही कृषि उत्पादक बेचारा बना हुआ है ।
इस स्थिति में कृषि उत्पादों का मूल्य निर्धारण कृषि उत्पादकों द्वारा ही किया जावे तो स्थिति में परिवर्तन आने की प्रबल संभावना रहेगी । जब तक हम परावलंबी और पराधीन रहेंगे तब तक आर्थिक स्थिति की सुदृढ़ता संभव नहीं है । यही कारण है कि जिस सरसों का गत वर्ष 7444 रुपये प्रति क्विंटल के दाम उत्पादकों को प्राप्त हुए थे। इस वर्ष उसमें 3000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट है ।
जिन राजनीतिक दल एवं राजनेताओं को किसानों द्वारा शासन में लाया जाता है वे शासन में आने के उपरांत कृषि उत्पादकों से मुंह फेर लेते है । राजनेता, अधिकारी एवं धनपतियों का अपवित्र गठजोड़ बन जाता है फिर उन्हीं के अनुसार नीतियां तैयार होती रहती है । अब समय आ गया है कि किसान अपने उत्पादों के मूल्य स्वयं निर्धारण करें इसका आरंभ तिलहन एवं दलहन की उपजों के उत्पादों से किया जा सकता है।
जिनमें देश आत्मनिर्भर नहीं है । फिर यही स्थिति प्रत्येक उत्पाद में लाई जाने की ओर निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है । इस दृष्टि से देश के सरसों उत्पादक किसानों से आग्रह है कि अपनी सरसों/तोरिया की उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर विक्रय नहीं करें । आज दिन में 11 से 4 बजे तक सरसों सत्याग्रह में राजस्थान के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, केरल एवम दिल्ली राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया।