News from - गोपाल सैनी
जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट द्वारा वर्ष 2020 में 500 ट्रैक्टरों के साथ दूदू से दिल्ली कूच किया । प्रशासन द्वारा दिल्ली कूच को महला गांव के पास रोकने पर चना की हठधर्मिता के कारण जाट द्वारा अनशन शुरू किया ।
तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा द्वारा आश्वासन के उपरांत जाट द्वारा अनशन समाप्त किया। परन्तु किसानों को राहत प्रदान नहीं करने के कारण किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी कानून बनाने को लेकर 24 फ़रवरी 2023 को पांच मार्गों से जयपुर विधानसभा घेराव के लिए पैदल कूंच किया गया। यही नहीं जन्तर मन्तर पर भी एक दिवसीय उपवास 101 किसानों के साथ किया गया ।
वहीं से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर से ही निलामी बोलीं आरम्भ को लेकर गांव बन्द आन्दोलन शुरू हुआ जिसमें टोंक जिले के लाखों किसानों ने समर्थन रखते गांव में फ़सल को रखकर विरोध किया जिसका असर कृषि उपज मंडी समिति निवाई में देखा जा सकता है।
गांव बन्द आन्दोलन के आगाज़ के पूर्व निवाई कृषि उपज मंडी समिति में प्रतिदिन 1100 किसानों द्वारा जिंस लेकर पहुंच रहें थे। आन्दोलन का असर दिखाई देने लगा। शनिवार को मात्र 163 किसानों द्वारा ही मंडी परिसर में जिंस बेचने पहुंचे।
जिंस के दाम को लेकर महापंचायत पदाधिकारियों ने गांवों में सम्पर्क किया और किसानों को जिंस रोकने के लिए प्रेरित किया, साथ ही राजस्थान के सभी लोकसभा सदस्यों को 25 के स्थान पर 40 क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने का आग्रह किया जिसके तहत् चना में तों 40 क्विंटल प्रति किसान कर दिया। परन्तु सर्वाधिक उत्पादन सरसों का होता उसमें परिवर्तन नहीं करनें से किसानों में गुस्सा भी हैं।
केन्द्र सरकार जल्द ही राजस्थान के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 40 प्रतिशत सरसों की भी खरीद करें। सरकार को पाम ऑयल आयातित तेल पर 100% आयात शुल्क लगाने के लिए पत्र नहीं लिखा जा रहा है।इस कारण सांसदों के प्रति राजस्थान के किसानों में भी रोष उत्पन्न हो रहा है। चना की तरह ही किसानों को राहत प्रदान करने के लिए सरसों एवं मूंग से भी 25% खरीद का राईडर हटाया जावे।