महामंडलेश्वरों की महासभा और मुस्लिम, सिख, बोहरा समाज के साथ सौहाद्रता, समरसता की मिसाल बना बाबा जयगुरुदेव जी का भंडारा

News from - Mukut Bihari 

 गुरु दक्षिणा में आप अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ-बाबा उमाकान्त जी महाराज उज्जैन

     जयपुर/ उज्जैन (18.05.2023)।  जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, कौमवाद से दूर सिर्फ मानववाद - ये नज़ारा था उज्जैन आश्रम पर संपन्न हुए बाबा जयगुरुदेव जी के 11वें वार्षिक मार्गदर्शक भंडारा कार्यक्रम का, जो अपने नाम के अनुरूप मार्गदर्शक बना कौमी एकता का। जनकल्याण की एक नई अवधारणा का, एक विचारधारा का और भारत को विश्वगुरु बनाने के संकल्प का। 

     देश की जनता ईश्वरवादी, खुदापरस्त बने, प्रकृति के नियमों का सब पालन करें, देश की युवा पीढ़ी शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त, देशभक्त बने और भारत दुनिया का आध्यात्मिक विश्वगुरु बने। इसी विचारधारा के साथ बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कई धर्मों के धर्मावलम्बियों को एक मंच पर लाकर, एक विचार से जोड़कर, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के वार्षिक भंडारे को न केवल उज्जैन में बल्कि सम्पूर्ण भारत में ऐतिहासिक भण्डारा बना दिया। 

बाबा जयगुरुदेव जी के भंडारा कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के प्रमुखों का जमघट 

     प्रात: कालीन बेला में उज्जैन के 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, जिनमे प्रमुख रूप से श्री शैलेशानंदगिरी जी, माता मंदाकिनी जी आदि मौजूद रहे तो दूसरी तरफ शाम को बोहरा समाज के प्रमुख हाजी मुल्ला क़ुतुब फ़ातमी, शहर काज़ी ख़लीफुल रहमान, सिख समाज से श्री सुरेंद्र सिंह जी और इनके साथ अनेक धार्मिक, मज़हबी शख़्सियतों ने बाबाजी के वार्षिक भंडारे के अवसर पर आयोजित धर्म कल्याण, जन कल्याण और आत्म कल्याण के इस धर्म समागम में शिरकत की।

हाथ जोड़कर विनय हमारी तजो नशा बनो शाकाहारी

     हिन्दू, मुस्लिम, सिख, बोहरा आदि अनेक धर्मों समाजों के प्रमुखों से बाबा उमाकान्त जी ने प्रार्थना करी, कि  आज उस ईश्वर, ख़ुदा को भूलने के कारण मानव का खान-पान, चाल-चलन ख़राब होता जा रहा है। शराब और नशे की गोलियां युवाओं के चरित्र को गिरा रही है। लोग प्रकृति के नियमों के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं, जिससे समय पर जाड़ा गर्मी बरसात नहीं हो रही। 

     हिंसा हत्या और मांसाहार के कारण लोग अपने देव दुर्लभ मनुष्य मंदिर, जिस्मानी मस्ज़िद को गंदा कर रहे है। इससे उनकी पूजा, इबादत को वो परमेश्वर, ख़ुदा स्वीकार नहीं कर रहा है। इसलिए सभी धर्म प्रमुखों को चाहिए कि मतभेद भूलकर एक विचार, भावना बनाकर ईश्वरवादी ख़ुदपरस्त बनें व लोगों को बनाये। 

     महाराज जी ने शहर काज़ी समेत सभी धार्मिक लोगों से आह्वान किया कि सबसे पहले हम सबको मिलकर लोगों को अपने-अपने तौर तरीके से ही सही, उस परमेश्वर, ख़ुदा, गॉड को रोजना सुबह-शाम याद करते रहने के लिए प्रेरित करने की जरुरत है।

गुरु दक्षिणा में आप अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ

     आश्रम पर उमड़े जनसैलाब को सतसंग एवं नामदान देते हुए पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि गुरु दक्षिणा देना भारत की परंपरा है। उसे निभाते हुए आप भी आज नाम दान के बदले गुरु दक्षिणा दे सकते हो। गुरु दक्षिणा में आप अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ। 

     अब तक जो आपने मांस मछली अंडा खाया, शराब और शराब जैसे बुद्धि नाशक नशे का सेवन किया, जीव हत्या की, दूसरी महिला के साथ बुरा कर्म किया, वो अब मत करना। उसे बंद करो और जीव हत्या वाला भोजन न करने का संकल्प बनाओ। अंडा बेहद गंदी चीज़ है, न खाना न बच्चों को खिलाना। शराब में एक हजार बुराई है। इसे पीने के बाद इंसान होश में नहीं रहता। तो ऐसे नशे का सेवन मत करो जिसे पीने के बाद बुद्धि काम न करें और होश में न रह जाओ।

मुस्लिम समाज ने भी की शिरकत की

     महाराज जी का ये आध्यात्मिक महाकुंभ सभी धर्म जाति और समाज के लोगों के लिए था। इसीलिए महामंडलेश्वर से लेकर, मुस्लिम समाज के विशिष्टजन तक, सभी न केवल शामिल हुए बल्कि महाराज जी की इस मानववादी व्यवस्था और विचार की सराहना भी की। 

     कुल मिलाकर बाबा उमाकान्त जी महाराज के सानिध्य में आयोजित बाबा जयगुरुदेव जी का ये मार्गदर्शक भंडारा सभी धर्म, जाति और समाज के लोगों के लिए पथप्रदर्शक भण्डारा बन गया। जयगुरुदेव।

दया, दुआ और बरकत का प्रसाद लेकर बाबा के भक्तों का प्रस्थान

     तीन दिन तक जयगुरुदेव उद्घोष और गुलाबी वस्त्र धारण कर पूरे उज्जैन को जयगुरुदेव नगर बनाने वाले बाबा के भक्त कार्यक्रम के अंतिम दिन अपने हाथों से प्रसाद रूपी अपने गुरु की दया ग्रहण कर अपने-अपने गंतव्य को रवाना हो गए। 

     विशेष बात ये थी कि इतनी गर्मी में भी भक्तों के उत्साह और भक्ति में लेशमात्र कमी नही थी। 50 से ज्यादा भंडारे चले जिसमें चीन, श्रीलंका, दुबई, अमेरिका, हांगकांग, मॉरिशस समेत अनेक देशों से आये भक्त पधारे।