ध्वज पताका फहराकर हुआ जैन धर्म के दशलक्षण पर्व का आगाज

 न्यूज़ फ्रॉम - अभिषेक जैन बिट्टू

जैन मंदिरों में उमड़ी त्याग, तप, साधना और आराधना की भीड़, स्वर्ण कलशों से हुआ श्रीजी का कलशाभिषेक  

     जयपुर। टोंक रोड़ के प्रताप नगर सेक्टर 8 स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलवार से जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व दशलक्षण महापर्व का आगाज आचार्य सौरभ सागर महाराज सानिध्य एवं पं संदीप जैन सेजल के निर्देशन में प्रारंभ हुआ। मंगलवार को दस धर्म के प्रथम दिवस " उत्तम क्षमा धर्म पर्व " श्रद्धा-भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 

     दशलक्षण पर्व के शुभारंभ के अवसर पर जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हुई देखी गई, जिसमे श्रावकों ने श्रद्धा भक्ति के साथ श्रीजी के कलशाभिषेक एवं शांतिधारा कर जिनेन्द्र अर्चना की एवं अष्ट द्रव्यों के साथ विधान पूजन कर अपने कर्मों की निर्जरा के लिए मंत्रोच्चारण के साथ अर्घ चढ़ाए। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, प्रताप नगर सेक्टर 8 में प्रथम दिन प्रातः 6 बजे से मूलनायक शांतिनाथ भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशो से कलशाभिषेक किये गए एवं आचार्य सौरभ सागर महाराज के मुखारविंद विश्व मे शांति की कामना के साथ जिन बिम्ब प्रतिमाओं पर वृहद शांतिधारा की गई।

     अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि दशलक्षण पर्व के शुभवासर पर 10 दिवसीय विधानपूजन का भी शुभारंभ किया गया। जिसकी मांगलिक शुरूवात आचार्य सौरभ सागर महाराज सानिध्य एवं पं संदीप जैन सेजल के निर्देशन में ध्वजारोहण स्थल पर कलश स्थापना कर ध्वज पताका फहरा कर विधिवत शुरुवात की गई। 

     मंगलवार को दस धर्म के प्रथम दिन " उत्तम क्षमा धर्म पर्व " का विधान पूजन सहित पंच परमेष्ठी विधान पूजन की मण्डल पर स्थापना कर श्रद्धा - भक्ति के साथ उत्तम क्षमा धर्म पर्व पर क्षमा के भावों को धारण करते हुए कर्मो की निर्जरा के लिए प्रार्थना, आराधना और साधना करते हुए जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेघ, दीप, धूप, फल, अर्घ सहित अष्ट द्रव्यों से पूजा करते हुए अर्चना की गई। 

     मंगलवार को प्रारम्भ हुए दसलक्षण पर्व विधान पूजन की मंगल शुरुवात प्रातः 7 बजे से प्रारंभ हुई। प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज के मंगल प्रवचन प्रारंभ हुए। इस दौरान वर्षायोग समिति गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद वाले, आलोक जैन तिजारिया, गजेंद्र बड़जात्या, अध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री महेंद्र जैन, महेश सेठी, सुनील साखुनियां, बाबूलाल जैन इटुंडा, दुर्गालाल जैन, धर्मचंद जैन, सर्वेश जैन, शिखर चंद गोधा, अतुल मंगल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण सम्मिलित हुए और विधान पूजन में भाग लेकर दसलक्षण पर्व की आराधना की। 

" क्षमा वीरस्य भूषणं " शुरू से अंत तक क्षमा भाव धारण करना ही उत्तम क्षमा धर्म - आचार्य सौरभ सागर

     दसलक्षण पर्व के प्रथम दिन, विधान पूजन के दौरान प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज ने " उत्तम क्षमा धर्म " का महत्व बताते हुए कहा की आचार्यो ने कहा है की  " प्रतिकार करने की सामथ्र्यता होने के बावजूद भी सहन करना ही उत्तम क्षमा धर्म है। 

     हर किसी का प्रतिकार कर उसे हरा देना या उसे नीचा दिखाना ये बड़ी बात नहीं है अपितु उसका प्रायुतर न देकर उस कड़वे घूँट को अमृत समझ कर पी जाना - सहन कर देना अथवा आत्मा विवेक को जाग्रत कर लेना यही क्षमा धर्म बतलाता है। क्षमा क्रोधी के प्रति धारण की जाती है वह क्रोधाग्नि बड़ी साम्यता से शांत की जाती है। जैसे अग्नि पांच प्रकार की होती है क्रोधाग्नि, कामाग्नि, जहराग्नि, दावाग्नि, बड़वाग्नि। 

     आचार्य श्री ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि क्रोधाग्नि बाहर और भीतर दोनों और से जलाने वाली है इसे बुझाने के लिए आत्मज्ञान, स्थान परिवर्तन, बूर निमित से हटना, मौन इत्यादि अवलम्बनही सहकारी होता है। दीपायन मुनि तक क्रोध के वशीभूत होकर पूर्ण द्धारिका नगरी तक जला सकते है और अपने आप को भी भस्म कर लिया इससे बढ़कर और दृष्टान्त क्या हो सकता है अतः क्रोध को जीतकर क्षमा भाव धारण करना चाहिए। 

     " क्षमा का भाव जीवन के प्रथम दिन से शुरू होकर जीवन के अंत तक रहना चाहिए यही उत्तम क्षमा धर्म है और यही इस सृष्टि का सबसे बड़ा धर्म भी है। जिसने क्षमा करना सीख उसका पूरा जीवन भावों में धारण हो जाता है।

हुई 48 दीपों से भगवान आदिनाथ भक्तामर दीपअर्चना

     दसलक्षण पर्व के अवसर पर धर्म जागृति महिला मंडल द्वारा मंगलवार को 48 दीपों से भगवान आदिनाथ आराधना भक्तामर दीपअर्चना का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें 48 पुण्यार्जक परिवारों द्वारा भजन - भक्ति के साथ भगवान आदिनाथ स्वामी की आराधना की गई और क्षमा के भावों को धारण कर दीप चढ़ाए गए। कार्यक्रम की शुरुवात समाजसेवी प्रकाशचंद, पारसमल, पूरण जैन (चोरू वाले) परिवार द्वारा दीप प्रवज्जलन कर की गई और मुख्य अतिथि नरेंद्र, शारदा, ऋषभ पाटनी निखार डिजाइनर भी शामिल हुए। 

उत्तम मार्दव धर्म (बुधवार को), होगी जैन म्यूजिकल हाऊजी

     मन्दिर समिति मंत्री महेंद्र जैन ने बताया की मंगलवार से जैन धर्म के सबसे पवित्र दशलक्षण पर्व का शुभारंभ जयपुर ही नही बल्कि पुरे विश्व पटल पर श्रद्धा-भक्ति के साथ प्रारंभ हुआ। 

     इन दस दिनों में समाज के प्रत्येक सदस्य और परिवार श्रावक धर्म का कर्तव्य पालन करते हुए दसलक्षण पर्व में भाग लेकर त्याग, तप, साधना और आराधना की भावना को भाते हुए अपने अपने यथाशक्ति अनुसार त्याग कर दसधर्म की पूजन आराधना करते है और त्याग की भावना भा कर उत्तम क्षमा धर्म से दशलक्षण पर्व का शुभारंभ करते है पड़वा तक क्षमा की भावनाओ में लीन रहकर पूरे वर्षभर जाने-अनजाने में हुई सभी गलतियों की क्षमा याचना करते है । बुधवार को दश धर्म का दूसरे दिन " उत्तम मार्दव धर्म " मनाया जायेगा।

आचार्य सौरभ सागर महाराज का 29 वां दीक्षा दिवस समारोह 21 को

     आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य जीवन आशा हॉस्पिटल के प्ररेणा स्त्रोत आचार्य सौरभ सागर महाराज का 29 वां दीक्षा दिवस समारोह गुरुवार, 21 सितंबर को श्रद्धा - भक्ति के साथ मनाया जायेगा। वर्षायोग समिति द्वारा दोपहर 1 बजे से मुख्य पांडाल पर दीक्षा दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया जायेगा। जिसमें राजधानी जयपुर ही नही बल्कि दिल्ली, यूपी, एमपी, हरियाणा, उत्तराखंड आदि राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण सम्मिलित होगे। 

     गुरुवार को प्रातः 5.15 बजे गुरुभक्ति, प्रातः 6.15 बजे जिनाभिषेक, शांतिधारा प्रातः 7 बजे से विधान पूजन, दोपहर मध्याह 1 बजे से पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, गुणानुवाद सभा और मंगल आरती का आयोजन होगा। इस समारोह में मंत्री महेश जोशी, विधायक कालीचरण सराफ, उपमहापौर पुनीत कर्णावट, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय बापना, बाल आयोग सदस्या श्रीमती संगीता गर्ग, पूर्व भाजपा जयपुर शहर अध्यक्ष संजय जैन सहित अन्य गणमान्य श्रेष्ठिगण भी सम्मिलित होगे और आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।