News from - Narendra Singh Babbal
दर्शकों को ज़िंदगी एक गुच्छा व मेरा भारत नाटकों ने गुदगुदाया
जयपुर। इंडियन थिएटर सोसायटी द्वारा 7 अक्टूबर 2024 को रवीन्द्र मंच के मिनी थिएटर में शाम 7 बजे दो हास्य नाटकों का मंचन किया गया। ब्लेक कॉमेडी से लबरेज़ ज़िंदगी एक गुच्छा व मेरा भारत ने दर्शकों को ठहाके लगवाए।
कैलाश सोनी द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक जिंदगी एक गुच्छा में मध्यम वर्गीय परिवार के एक इंसान की संघर्ष भरी जीवनी पर आधारित है। |दो वक्त की रोटी के लिए जूझता इंसान परिवार की आर्थिक कमजोर स्थिति के बावजूद, अपनी शिक्षा पूरी करता है और नौकरी की तलाश में दर-दर भटकता है।
उसके सपने उसकी तमन्ना सब चूर हो जाते हैं। वह टूटने लगता है उसका भविष्य अंधकार में डूबने लगता है और ना चाहते हुए भी उसकी जिंदगी एक गुच्छा बन जाती है और वह बिखरता चला जाता है। एक बेरोजगार व्यक्ति के संघर्षमय जीवन को हास्य व्यंग्य के माध्यम से पर रोशनी डालता है। जिसमें सुरेन्द्र कुमार बाजिया ,हितेष, लोकेश कुमावत, राहुल, अरमान, मन्नू गुर्जर, आशीष शर्मा, राहुल जावतवाला, कैलाश सोनी, लवीना चौईथरामानी ने अभिनय किया।
★दूसरा नाटक मेरा भारत जिसका निर्देशन विजय गुर्जर ने किया है। नाटक में दिखाया है कि दुनिया एक बाजार है, जहां हर तरफ बाजार सजा है। जिधर देखो उधर बाजारों में भीड़, शोर-शराबा है। कोई बिक रहा है तो कोई बेच रहा है। मुनाफा, लाभ, फायदा इन सबके लिए इंसान इतना अंधा हो चुका है कि वह धोखा -फरेब मक्कारी का रास्ता अपनाकर अपना हित साधने में लगा है।
इस हित साधने की उसकी रणनीति में अगर इंसानियत मर रही होती है तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह जात-पात, धर्म, इंसानियत इन सबको ताक पर रख देता है। ऐसे में मेरा भारत टुकुर-टुकुर इस माहौल को देख रहा है। उसकी आंखें पथरा गई है। वह स्वयं को हारा हुआ-सा महसूस कर रहा है।
हर तरफ काला बाजारी भ्रष्टाचारी ने भारत को बेबस कर दिया है। वह अपने ही घर में बेगाना होकर रह गया है और उसे लगता है कि जैसे मुझे अपने ही लोग पहचानते नहीं। उसे ऐसा महसूस होता है कि *मर गए वह जो मुझ पर मरते थे। वह रहते थे एक लंगोटी में, आज मर रहा है इंसान दो वक्त की रोटी में।
नाटक में उमेश गुर्जर, कैलाश सोनी, विकास सैनी, महिपाल गुर्जर, नीतू मिश्रा, शिव कुमार गौतम, अनीशा यादव, योगेन्द्र शेखावत, मन्नु गुर्जर, हितेष, आयुष पांचाल ने दर्शकों को खूब हंसाया।