News from - UOT
देश का प्रकृति परीक्षण अभियान
जयपुर। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (DU, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में "देश का प्रकृति परीक्षण अभियान" (Healthcare Wellness Camp) का आयोजन यूनिवर्सिटी के वाटिका परिसर में मंगलवार 24 दिसंबर को किया गया।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. अनूप शर्मा ने बताया इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आयुर्वेद के माध्यम से जनसामान्य को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और प्रकृति परीक्षण के माध्यम से उनके शरीर की प्रकृति का अध्ययन कर उपचार प्रदान करना था।
इस कैंप में विश्वविद्यालय के करीब 200 से अधिक कर्मचारी, छात्र और स्थानीय नागरिकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। कैंप में तीतरिया गांव की सरपंच पार्वती शर्मा ने ग्रामवासियों सहित भाग लिया और इस पहल की सराहना की। इस शिविर में लोगों को उनकी शारीरिक प्रकृति के आधार पर स्वास्थ्य परीक्षण और आयुर्वेदिक परामर्श दिया गया।
• आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
• प्रतिभागियों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्रदान की गई।
मुख्य अतिथि और आयोजन समिति:
इस कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की चेयरपर्सन एवं चांसलर श्रीमती मीनाक्षी सुराणा, प्रो चांसलर डॉ. अंशु सुराणा, प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ. अंकित गांधी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा, जयपुर के डॉ. राकेश नागर ने विशेष रूप से योगदान दिया।आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम में डॉ. श्रुति वर्मा, डॉ. श्रद्धा, डॉ. सुमन रूलानिया, डॉ. अशोक पुष्कर, डॉ. सुमन देवांडा, डॉ. परमिता, डॉ. ममता तंवर, डॉ. प्रोमिला और डॉ. ओमप्रकाश शामिल थे।
कार्यक्रम में मुख्य सहयोगी एवं आयुर्वेद प्रमोटर, वरिष्ठ पत्रकार अध्यक्ष जनशक्ति विकास फाउंडेशन "आज मीडिया सर्विसेज" के चीफ एडिटर वी.बी. जैन रहे।
कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने इस पहल की प्रशंसा की और इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम बताया। शिविर के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने स्वास्थ्य परीक्षण कराया और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लाभों को समझा। प्रोवोस्ट डॉ. राजीव कुक्कर, डीन अकादमिक डॉ. भुवन चंद्र, डिप्टी रजिस्ट्रार नरेश अरोड़ा, डॉ. सिताराम माली, डॉ. जितेंद्र सिंह चौधरी, डॉ. वंदना ठाकुर एवं
रजिस्ट्रार डॉ अनूप शर्मा ने बताया यह अभियान भारतीय आयुर्वेदिक प्रणाली और आधुनिक समाज के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करते हुए स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ाने में सफल रहा। आयोजकों ने इस तरह के और भी कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया।
यह आयोजन न केवल स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का माध्यम बना, बल्कि आयुर्वेद की प्राचीन धरोहर को भी आधुनिक जीवनशैली में शामिल करने का प्रयास साबित हुआ।