शादी का मज़ाक...

Article - Priyanka "Papa ki Pari" 

शादी या हत्या ???

     शादी, अब कुछ लोगों के लिए सिर्फ एक समझौता रह गया है... या कहें एक मज़ाक। प्यार किसी और से करते हैं, शादी किसी और से। क्यों? किसी की ज़िंदगी बर्बाद करने का हक किसने दिया तुम्हें? क्या उस इंसान की कोई फीलिंग्स नहीं, जिसकी तुमने मांग भरी, जिससे तुमने कसमे खाईं? या फिर जिसने तुम पर विश्वास किया, दुल्हन बना कर अपने घर लाया? 

(Priyanka "Papa ki Pari")
     ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार नहीं... वो सीधे-सीधे अपराधी हैं। खून करने वाले भले हों या किसी के ख्वाबों को रौंदने वाले — दर्द तो दोनों में बराबर होता है।

     कभी-कभी लगता है, शायद ये दुनिया ही बदल गई है। अब शक करना, झूठ बोलना, धोखा देना... सब आम हो गया है। और जब कोई पत्नी या पति अपने पार्टनर से पूछता है कि “अगर किसी और के साथ जाना है तो साफ कह दो,” तो सामने वाला चुप हो जाता है। क्या इतनी हिम्मत भी नहीं बची कि सच का सामना कर सको? किसी को जिंदगी से निकालना हो, तो कम से कम उसकी आत्मा को मत मारो। छोड़ दो, पर जिंदा छोड़ दो। 

     आज के समाज में यह एक अत्यंत चिंताजनक विषय बन चुका है कि कुछ व्यक्ति गंभीर अपराधों को अंजाम देने के बाद यह सोच लेते हैं कि वे कानून की पकड़ से बच निकलेंगे। वे यह मानते हैं कि उनका किया गया अपराध कभी उजागर नहीं होगा और उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं मिलेगी। यह सोच न केवल मूर्खतापूर्ण है बल्कि सामाजिक और कानूनी व्यवस्था के प्रति एक खतरनाक उदासीनता को भी दर्शाती है।

     ऐसे लोग जो विवाह जैसे पवित्र बंधन का इस्तेमाल मानसिक प्रताड़ना देने के उपकरण के रूप में करते हैं, उन्हें समाज से शीघ्र ही दूर करना आवश्यक है। मानसिक उत्पीड़न भी एक गंभीर अपराध है और इसके परिणामस्वरूप पीड़ित व्यक्ति दीर्घकालिक मानसिक आघात का शिकार हो सकता है।

     यह आवश्यक है कि हम ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहें और सामाजिक स्तर पर उनकी पहचान कर, उनके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें। समाज को चाहिए कि वह ऐसे व्यवहार को सहन न करे और पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाए।