क्या इस बार फिर खिलेगा कमल ईसाई बहुल जिले सिमडेगा में?

2009 से अब तक भाजपा की विधायक कुर्सी पर, हिंदूओं से ज्यादा ईसाई रहते हैं सिमडेगा जिले में


सिमडेगा पहले कैसलपुर-बिरुगढ़ परगना साम्राज्य का शासन था. ब्रिटिश काल में यहां गजपति रॉयल फैमिली के राजा गंगा वामसी शासन करते थे. यह शाही परिवार अब भी सिमडेगा शहर से 11 किमी दूर बिरुगढ़ में रहता है. इस पठारी क्षेत्र में जनजातीय और ओडिया समुदाय के लोग रहते हैं. यह क्षेत्र हमेशा से मिशनरी लोगों के लिए लोकप्रिय रहा है. यहां की कुल आबादी का सबसे ज्यादा हिस्सा ईसाई धर्म का है. ओडिशा के राउरकेला के नजदीक होने के कारण सिमडेगा झारखंड के औद्योगिक विकास में मदद कर रहे है. जिले में 10 प्रखंड हैं- सिमडेगा, पाकरटार, कुरडेग, केरसई, बोलबा, ठेठईटांगर, कोलेबिरा, जलडेगा, बांसजोर और बानो.



सिमडेगा की राजनीतिः पिछले दो बार से भाजपा की विधायक - सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र खूंटी लोकसभा सीट के तहत आता है. यहां 2005 में कांग्रेस के नील तिर्की विधायक थे. लेकिन 2009 से भाजपा की ओर से विमला प्रधान चुनाव लड़ीं और विधायक चुनी गईं. इसके बाद 2014 में भी विमला प्रधान ने अपना ताज बचाए रखा. सिमडेगा प्रशासन ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. अब देखना ये होगा कि क्या भाजपा यहां पर जीत की हैट्रिक बना पाएगी?


5.99 लाख आबादी, साक्षरता दर 67.99 फीसदी - 2011 की जनगणना के अनुसार सिमडेगा की कुल आबादी 599,578 है. इनमें से 300,309 पुरुष और 299,269 महिलाएं हैं. जिले का औसत लिंगानुपात 997 है. जिले की 7.2 फीसदी आबादी शहरी और 92.8 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाको में रहती है. जिले की औसत साक्षरता दर 67.99 प्रतिशत है. पुरुषों का शिक्षा दर 63.93 प्रतिशत और महिलाओं में 50.62 प्रतिशत है.  






सिमडेगा का पर्यटन, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत - राम रेखा धाम एक पवित्र स्थान है. यह सिमडेगा जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर है. कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण यहां रुके थे. भैरोबाबा पहाड़ी मूल रूप से एक गुफा है. इसके अलावा केलाघाघ बांध, केटुंगा धाम, भंवर पहाड़ आदि घूमने लायक स्थान हैं.