सुप्रीम कोर्ट - कॉलेजियम में 13 साल बाद महिला जज

     सेशन कोर्ट से SC तक का सफर - सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद अब जस्टिस आर. भानुमति  कॉलेजियम का हिस्सा बन गई हैं. बीते 13 सालों में भानुमति पहली महिला जस्टिस हैं जो कॉलेजियम का हिस्सा बनी हैं. जस्टिस भानुमति को सुप्रीम कोर्ट की 5वीं सीनियर मोस्ट जस्टिस होने के नाते कॉलेजियम का हिस्सा बनाया गया है. वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट में आर भानुमति के अलावा दो और महिला न्यायाधीश (इंदू मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी) हैं (Photo - R. Bhanumati)




ऐसा रहा है करियर - आर. भानुमति का करियर सेशन कोर्ट से शुरू होकर देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचा है. उन्होंने 1981 में वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. भानुमति 1988 में तमिलनाडु हायर ज्यूडिशियल सर्विस के जरिए डिस्ट्रिक्ट जज बनी थीं. अप्रैल 2003 में उन्हें मद्रास हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया. इस दौरान उन्होंने जल्लीकट्टू केस की सुनवाई की थी. करीब दस साल बाद साल 2013 में उन्हें झारखंड हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. अगस्त 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया. उनके नाम की संस्तुति तबके सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मल लोढ़ा ने की थी. वो भारत की दूसरी महिला हैं जिन्होंने सेशन कोर्ट के जज से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद तक का सफर तय किया है. वो सुप्रीम कोर्ट में 6वीं महिला न्यायाधीश नियुक्त हुई थीं.


निर्भया केस में फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा - आर. भानुमति दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप केस का फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा थीं. इस मामले में अपना निर्णय अलग से लिखते हुए उन्होंने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था. उनका मानना था कि ऐसे अपराध के लिए दूसरा कोई दंड नहीं हो सकता. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर किसी एक केस में मौत की सजा सुनाई जा सकती है तो ये वही केस है. आर भानुमति के अलावा कॉलेजियम में चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस रोहिंटन नरिमन और जस्टिस अरुण मिश्रा हैं. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम में शामिल आखिरी महिला जस्टिस थीं रूमा पाल. रूमा पाल साल 2006 में रिटायर हो गई थीं.


पी. चिदंबरम से जुड़े मामले में की सुनवाई - हाल ही में जस्टिस भानुमति ने आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की अंतरिम जमानत पर भी सुनवाई की थी. जस्टिस भानुमति ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया था जिसमें पी. चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज की गई थी. ये मामला ईडी से जुड़ा हुआ था. हालांकि जस्टिस भानुमति ने चिदंबरम के केस में सीबीआई से जुड़े मामले में जमानत दे दी थी.

किस तरह से काम करता है कॉलेजियम - सुप्रीम कोर्ट में किसी जस्टिस की नियुक्ति को लेकर जब कॉलेजियम के सदस्य किसी एक सदस्य के नाम पर सहमत हो जाते हैं, वो ये नाम राष्ट्रपति के पास प्रस्तावित करते हैं. यह राष्ट्रपति के हाथ में है कि वो इस सलाह से सहमत होते हैं या नहीं. राष्ट्रपति चाहे तो कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार की अर्जी मान सकते हैं या वापस लौटा सकते हैं. लेकिन अगर फिर कॉलेजियम किसी उम्मीदवार का नाम पुनः प्रस्तावित करता है तो राष्ट्रपति को उसपर मुहर लगाना जरूरी हो जाता है.