अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान असम को भारत से काटने की बात कह कर देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम को असम की एक अदालत ने शुक्रवार (28 फरवरी) को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। शरजील को आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया जहां उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया। बाद में उसे गुवाहाटी केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया है। शरजील को नई दिल्ली से 20 फरवरी को यहां लाया गया था और वह तभी से असम पुलिस की हिरासत में था।
(File Photo - शरजील इमाम)
दिल्ली के शाहीनबाग इलाके में सीएए के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन के मुख्य आयोजकों में से एक शरजील पर असम को देश से अलग करने का नारा देने का गंभीर आरोप है। शरजील को गत 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। उसकी अपमानजनक टिप्पणी के बाद असम पुलिस ने भी शरजील के खिलाफ एक मामला दायर किया था। जामिया मामले में भी शरजील पर हिंसा भड़काने का आरोप है। यही नहीं दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शरजील के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। गुवाहाटी लाए जाने से पहले शरजील को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था।
बिहार से हुआ था गिरफ्तार - जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने को लेकर मंगलवार (28 जनवरी) को बिहार के जहानाबाद से शरजील को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। शरजील कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में राजद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद से फरार था। शरजील को बिहार की एक अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया। दिल्ली पुलिस ने शरजील के खिलाफ 25 जनवरी को मामला दर्ज किया था।
असम को देश से अलग करने की बात कही थी - 16 जनवरी के एक ऑडियो क्लिप में इमाम को यह कहते हुए सुना गया कि असम को भारत के शेष हिस्से से काटना चाहिए और सबक सिखाना चाहिए क्योंकि वहां बंगाली हिंदुओं और मुस्लिम दोनों की हत्या की जा रही है या उन्हें निरोध केंद्रों में रखा जा रहा है। ऐसी खबर है कि उसने यह भी कहा था कि अगर वह पांच लाख लोगों को एकत्रित कर सकें, तो असम को भारत के शेष हिस्से से स्थायी रूप से अलग किया जा सकता है...अगर स्थायी रूप से नहीं तो कम से कम कुछ महीनों तक तो किया ही जा सकता है।