संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दुनिया में बसे प्रवासी और शरणार्थियों को लेकर जो खुलासा हुआ है वो बेहद खास है। ये रिपोर्ट भारत के लिहाज से भी खास है।
प्रवासियों और शरणार्थियों को लेकर सामने आई संयुक्त राष्ट्र की की वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 रिपोर्ट बेहद खास है। ये रिपोर्ट यूएन की ही सहयोगी संस्था इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑन माइग्रेंशन (International Organization for Migration) ने तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 27 करोड़ प्रवासी हैं जिनमें सबसे अधिक भारतीय हैं। अकेले भारत के ही 17 करोड़ से अधिक प्रवासी दुनिया के विभिन्न देशों में रह रहे हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर मैक्सिको के नागरिकों की है जिनकी संख्या लगभग 12 करोड़ है। तीसरे नंबर पर विभिन्न देशों में रह रहे चीन के नागरिक आते हैं जिनकी संख्या 11 करोड़ से कुछ कम है। रिपोर्ट के मुताबिक 14 करोड़ प्रवासी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में रहते हैं।
काम की तलाश में छूटता वतन - यूएन की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की पूरी आबादी के करीब 3.5 फीसद लोग प्रवासियों के रूप में विभिन्न देशों में रह रहे हैं। इस आबादी में 52 फीसद लोग पुरुष और 48 फीसद महिलाएं हैं। करीब 74 फीसद प्रवासी 20-64 वर्ष की आयु के हैं, जो एक वर्किंग एज होती है। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि ज्यादातर लोग काम की तलाश में अपना वतन छोड़कर दूसरे देश की राह पकड़ते हैं। लेकिन इसी रिपोर्ट में ये भी दर्ज है कि महज 3.5 फीसद प्रवासी दुनिया की आबादी का बेहद छोटा सा हिस्सा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 96.5 फीसद लोग अपनी पूरी जिंदगी उसी देश में बिताते हैं जहां पर वो पैदा होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 30 वर्षों में प्रवासियों की संख्या में कमी आ जाएगी और यह करीब 23 करोड़ रह जाएंगे।
अधिक आय वाले देशों का रुख - इस रिपोर्ट का एक तथ्य ये भी है कि ज्यादातर प्रवासी विकासशील देशों से संबंध रखते हैं जिनका रुख अधिक आय वाले देश होते हैं। इनमें अमेरिका ज्यादातर लोगों की पसंद होता है। इसके अलावा फ्रांस, रूस, यूएई, सऊदी अरब भी लोगों की पसंद बनता है। जहां तक आने वाले समय में प्रवासियों की संख्या में कमी की बात है तो इसको दो तरह से देखा जा सकता है। पहला विकसित देशों में बने प्रवासियों के लिए कड़े नियम, दूसरा विकासशील देशों का तेजी से होता विकास।