- न्यायालय ने कहा - उसे सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद को जाहिर करें।
- बेंगलुरु में दिग्विजय सिंह बागी कांग्रेस विधायकों से मिलने से रोके गए, हिरासत में लिए गए।
- कोर्ट ने न्यायालय ने शिवराज सिंह चौहान और नौ अन्य भाजपा विधायकों की याचिका पर कमलनाथ सरकार से मांगा था जवाब।
मध्य प्रदेश के पॉलिटिकल ड्रामे की गूंज भोपाल, बेंगलुरु से लेकर नई दिल्ली तक सुनाई दे रही है। भोपाल में जहां पूरी राजनीति का केंद्र है, वहीं बेंगलुरु में बागी कांग्रेस विधायक एक रिजॉर्ट में रुके हुए हैं। बुधवार को वहां भी हाई-वोल्टेज ड्रामा हुआ। हालांकि पूरा दिन नजर रही दिल्ली पर, जहां सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर सुनवाई हुई। इन सभी ने टॉप कोर्ट से विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने की मांग की है। बुधवार को जब अदालत में दोनों पक्ष आमने-सामने आए तो तीखी बहस हुई।
SC के सामने पेश होने को तैयार बागी विधायक
मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरफ से अदालत में तर्क दिया गया कि वह अपने बागी विधायकों से मिलना चाहते हैं। तो बागी विधायकों के वकील ने कहा कि विधायक आपसे नहीं मिलना चाहते। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को शांत कराते हुए कहा कि 'ये बच्चों की कस्टडी का मामला नहीं है।' बागी विधायकों ने इसके बाद कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने को तैयार हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनके वकील से कहा कि 'मैं कारण जानता हूं कि क्यों आप ऐसा कह रहे हैं। लेकिन ये सही नहीं होगा। हम सुनवाई गुरुवार के लिए स्थगित करते हैं।' दूसरी तरफ, कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेंगलुरु में रह रहे मध्य प्रदेश के विधायकों से मुलाकात की मांग वाली दिग्विजय सिंह की याचिका खारिज की।