बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया राज्यसभा प्रत्याशी - शिवराज ने दी बधाई

     शिवराज ने ट्वीट कर कहा, 'बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया और हर्ष सिंह चौहान को मध्य प्रदेश से राज्यसभा चुनाव हेतु उम्मीदवार चुने जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं। आश्वस्त हूं कि आप 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मूलमंत्र को ध्यान में रखते हुए जनता के हित में कार्य करेंगे।'



  • बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया राज्यसभा उम्मीदवार

  • एक दिन पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले सिंधिया ने आज ही जॉइन की है बीजेपी

  • मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज ने दी सिंधिया को बधाई, हर्ष सिंह चौहान को भी टिकट



     18 सालों तक कांग्रेस पार्टी में रहने के बाद इस्‍तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को राज्यसभा का टिकट भी मिल गया। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया को BJP की तरफ से राज्यसभा का कैंडिडेट चुने जाने की जानकारी देते हुए उन्हें बधाई दी है। शिवराज ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, 'भारतीय जनता पार्टी के के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया और हर्ष सिंह चौहान को पार्टी मध्य प्रदेश इकाई की तरफ से राज्यसभा चुनाव हेतु उम्मीदवार चुने जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं। मैं आश्वस्त हूं कि आप 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मूलमंत्र को ध्यान में रखते हुए जनता के हित में कार्य करेंगे।'


 

   बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही हर्ष सिंह चौहान को भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया है। गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बदल चुकी है और अब उसके जरिए जनसेवा संभव नहीं थी। 18 साल तक कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया आज बीजेपी में शामिल हो गए। सिंधिया की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार मुश्किल में आ गई क्योंकि सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी की पहली प्रतिक्रिया आई है। राहुल ने कहा-वह अकेले नेता थे जो बेधड़क मेरे घर में आ जाते थे।

सिंधिया और कमलनाथ में लंबे समय से चल रही थी खींचतान - मध्य प्रदेश कांग्रेस के कभी चमकते सितारे रहे सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, समस्या हाल में शुरू हुई, जब सरकार में सिंधिया समर्थकों को दरकिनार किया गया और ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की उनकी महत्वाकांक्षा भी विफल कर दी गई। यह भी बताया जाता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं था। इस सप्ताह के अंत में, सिंधिया और कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री बेंगलुरु गए और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी में बगावत हो गई है।