कोरोना वायरस की मार जिन देशों पर सबसे ज़्यादा पड़ी है, उनमें से एक है ईरान. यहां 27 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है हालांकि आरोप ये है कि वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज़्यादा हैं और सरकार आँकड़ों को कम करके दिखा रही है. आलोचकों का कहना है कि ईरान सरकार लगातार कोरोना के ख़तरे को कम करके दिखाती रही.
19 फ़रवरी को पहली घोषणा में सरकार ने लोगों से कहा कि वो वायरस से नहीं घबराएँ. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने ईरान के "दुश्मनों पर ख़तरे को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने" का आरोप लगाया. एक हफ्ते के बाद संक्रमित लोगों और मौतों के आँकड़े बढ़े तो राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सुप्रीम लीडर के शब्द दोहराए और "साज़िशों और देश के दुश्मनों के डर पैदा करने की कोशिशों" के प्रति आगाह किया.
तेज़ी से फैला वायरस - लेकिन सिर्फ़ 16 दिनों में ही कोविड-19 ईरान के सभी 31 प्रांतों में फैल गया था. साथ ही इराक़, पाकिस्तान, यूएई, कुवैत, क़तर जैसे 16 देशों ने दावा किया कि उनके यहां वायरस ईरान के ज़रिए पहुंचा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 2016 में ईरान की आबादी 8 करोड़ 2 लाख 77 हज़ार दर्ज की गई थी और वो अपनी जीडीपी का 6.9 प्रतिशत (2014) हिस्सा स्वास्थ्य के लिए रखता है.
इसके बावजूद ईरान कोरोना के ख़तरे से निपटने में संघर्ष कर रहा है और अमरीका की मदद की पेशकश भी ठुकरा चुका है. देश के सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई का कहना है कि ईरान अमरीका पर भरोसा नहीं कर सकता है.
ईरान ने बचने के लिए क्या क़दम उठाए - ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने देश भर में शॉपिंग सेंटर और बाज़ारों को 15 दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया था और सिर्फ़ दवाइयों और रोज़मर्रा के ज़रूरी सामानों को इससे छूट दी गई थी. प्रशासन ने अब कोम और मशहाद शहरों में स्थित धार्मिक स्थलों समेत सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया है.
सरकार को और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत थी - आलोचकों का कहना है कि ईरान सरकार को कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए बहुत पहले कड़े क़दम उठाने चाहिए थे. हालांकि देश के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ का कहना है कि अमरीका के प्रतिबंधों की वजह से ईरान के हेल्थकेयर सिस्टम को झटका लगा है. ज़रीफ़ ने कहा कि उन्होंने ईरान के संसाधनों को कमज़ोर कर दिया है.
वहीं, अमरीका ने इस बात से इनकार किया है कि उसके प्रतिबंधों की वजह से ईरान को मेडिकल सप्लाई के आयात में परेशानी आ रही है. अमरीका का कहना है कि उसने मानवीय ज़रूरत के सामान को छूट दी हुई है. लेकिन ईरान का कहना है कि कंपनियां को पैसे का लेन-देन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि बैंक अमरीका के प्रतिबंध को देखते हुए रिस्क नहीं लेना चाहते. ईरान सरकार का कहना है कि अब 5 बिलियन डॉलर की आपातकालीन मदद के लिए वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बात करेगा.