निर्भया केस : अक्षय की विधवा बनकर नहीं जीना चाहती - पत्नी

                                                     तलाक के लिए बुलाया बिहार


     निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट से जारी किए तीन डेथ वारंट पहले ही खारिज हो चुके हैं। चौथा डेथ वारंट खारिज करवाने के लिए दोषी अक्षय की पत्नी की ओर से दायर की गई तलाक की याचिका इस मामले में अदालत को एक बार फिर अपना फैसला कानूनी रूप बदलने के लिए बाध्य कर सकती है। 



     दोषियों की फांसी से तीन दिन पहले अक्षय की पत्नी ने तलाक की अर्जी दायर की है। इस पर सुनवाई के लिए अक्षय का पहुंचना कानूनी रूप से जरूरी है। निर्भया के दोषियों पवन, विनय और अक्षय की फांसी टलवाने के लिए बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में दायर की गई याचिका में अक्षय के तलाक का मुद्दा कानूनी विकल्पों में सबसे मजबूत कड़ी साबित हो सकता है। 


   इस बारे में अक्षय के वकील एपी सिंह ने बताया कि दोषियों को उसी स्थिति में फांसी पर लटकाया जा सकता, जब उनके खिलाफ कोई याचिका लंबित ना हो। उन्होंने कहा कि जब अक्षय को फांसी देने के लिए अदालत ने डेथ वारंट जारी कर रखा तो उसकी पत्नी अपने अधिकारों के तहत किसी भी हालत में विधवा नहीं होना चाहती। इसलिए उसकी पत्नी से अक्षय से तलाक लेने के लिए बिहार के औरंगाबाद की जिला अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की है।


   उन्होंने कहा कि चूंकि अक्षय की पत्नी के अपने मानवीय अधिकार हैं और वह अपने पति के मरने के बाद खुद पर विधवा होने की मुहर नहीं लगवाना चाहती। इसलिए उसने अक्षय से तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तलाक की अर्जी पर सुनवाई 19 मार्च को होनी है और ऐसी स्थिति में अक्षय को सुनवाई पर पहुंचने के लिए कानूनी रूप से अनुमति मिलनी चाहिए।  उन्होंने बताया कि दोषी की फांसी पर रोक लगाना या ना लगाना कानून का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन किसी महिला के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना भी कानून की ही जिम्मेदारी है। लिहाजा तलाक की प्रक्रिया पूरी होने से पहले अक्षय को कानूनी रूप से फांसी नहीं दी जा सकती।