डॉक्टर नई जिंदगी देता है. जिस मरीज की जान डॉक्टर बचाता है वो और उसके घरवाले डॉक्टर को भगवान से कम दर्जा नहीं देते. लेकिन पूरी जिंदगी मरीजों का ध्यान रखने वाले एक डॉक्टर के साथ चेन्नई में जो हुआ, वो पूरी इंसानियत को शर्मसार करने वाला है. इस डॉक्टर की पत्नी को मलाल है कि वो और उनके दो बच्चे दफनाने से पहले उनका चेहरा भी नहीं देख पाए. डॉक्टर के घरवालों को ये भी नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाकर दफनाया गया.
55 साल के न्यूरोसर्जन डॉ साइमन हरक्युलिस अप्रैल के शुरू में COVID-19 पॉजिटिव पाए गए. हालत खराब होने पर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. 19 अप्रैल को डॉ साइमन की मौत हो गई. डॉ साइमन के शव को जब दो कब्रिस्तानों में दफनाने की कोशिश की गई तो वहां लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने शव को दफनाने नहीं दिया. जिस एम्बुलेंस से शव ले जाया जा रहा था. उस पर पथराव भी किया गया. एम्बुलेंस का शीशा टूट गया और ड्राइवर को चोट भी आई. डॉ साइमन के सहयोगी और दोस्त डॉ प्रदीप ने किसी तरह रात के अंधेरे में पुलिस को साथ ले जाकर दूर के कब्रिस्तान में उन्हें खुद अपने हाथों से दफनाया.
इस पूरे घटनाक्रम पर डॉ साइमन की पत्नी आनंदी साइमन ने अपने दुख को साझा किया. उनका एक बेटा और बेटी है, दोनों कॉलेज जाते हैं. आनंदी जब बात कर रही थीं तो पति के साथ बिताए 30 साल की यादें उनके जेहन में थीं. उन्होंने कहा कि उनके पति जिस चर्च में जाते थे, उसी की सीमेट्री (कब्रिस्तान) में दफनाए जाने की जरूरत थी,लेकिन उन्हें किसी दूर के कब्रिस्तान में लावारिसों की तरह दफनाना पड़ा. आनंदी का दर्द साफ झलका कि जीवन भर दूसरों की सेवा करने वाले उनके पति की मौत के बाद शव के साथ ऐसा बुरा बर्ताव हुआ. आनंदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी से आग्रह किया कि उनके पति को उनके चर्च की सीमेट्री में दोबारा दफनाए जाने की व्यवस्था की जाए.