Ganesha Chaturthi 2020
हर महीने दो चतुर्थी आती हैं। इस बार 11 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है और उनका व्रत रखा जाता है। शाम को चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान गणेश की अराधना करनी चाहिए। कहा जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता है और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इसलिए इस दिन व्र रखने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन ऊं चतुराय नमः, ऊं गजाननाय नमः, ऊं विघ्नराजाय नमः, ऊं प्रसन्नात्मने नमः मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी की कथा
कथानुसार एक बार मां पार्वती स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा। फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गई। थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया। इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए। जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश जी का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई। तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया। महामृत्युंजय रुद्र उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।