विदेश और नागरिक विमानन मंत्रालय विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के प्लान पर काम कर रहा है। इस बीच पीएम मोदी ने इस बड़े निकासी प्लान को लेकर बुनियादी नियम तैयार कर दिए हैं। पीएम मोदी के फैसले के मुताबिक सबसे पहले श्रमिक वर्ग के लोगों को विशेष विमानों में जगह दी जाएगी। इसके बाद दूसरे देशों में फंसे स्टूडेंट्स का नंबर आएगा और फिर उन सभी लोगों को लाया जाएगा जो विदेश नौकरी करने या घूमने गए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''पीएम मोदी स्पष्ट कर दिया है कि सबसे पहले भारतीय प्रवासी कार्यबल को लाया जाए।''
जब देश को संकट से उबारा...एक बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि कैसे गरीब भारतीय प्रवासी कामगारों, जो अधिकतर गल्फ देशों में है, ने देश को आर्थिक संकट से निकलने में मदद की थी। जैसा कि 1998, जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका सहित दूसरे पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने रिसर्जेंट इंडिया बॉन्ड को 2 अरब डॉलर जुटाने के लक्ष्य से जारी किया था और 4 अरब डॉलर मिले थे।
प्रवासियों से भारत को सबसे ज्यादा पैसा - दो दशक बाद आज भी भारत के प्रवासियों का विशाल समूह घर पैसे भेजता है। 2019 में वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि भारत प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। पिछले साल प्रवासियों ने करीब 82 अरब डॉलर भारत भेजा, इनमें से आधा पश्चिम एशिया के प्रवासी मजदूरों ने भेजा।
गल्फ देशों में 70 फीसदी प्रवासी, कोरोना से छिना रोजगार - कोरोना वायरस महामारी ने पश्चिम एशिया के देशों में भारतीय मजदूरों को बहुत प्रभावित किया है। प्रॉजेक्ट्स रुकने की वजह से अधिकतर का रोजगार छिन गया है। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गल्फ देशों को फोन करके कहा है कि भारतीय प्रवासियों का ध्यान रखा जाए। विदेशों में रह रहे 1.26 करोड़ भारतीयों में से 70 फीसदी 6 गल्फ देशों में ही हैं। संयुक्त अरब एमिरात में 34 लाख भारतीय रहते हैं। 26 लाख सऊदी अरब में है तो कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन में 29 लाख भारतीय हैं।