असिस्टेंट डायरेक्टर बनना चाहते थे जावेद अख्तर - अधूरा रह गया सपना

     जाने माने गीतकार जावेद अख्तर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उनकी कलम की ताकत से सिनेप्रेमी और साहित्य जगत से जुड़े लोग अच्छे से वाकिफ हैं. लेकिन जावेद अख्तर राइटर नहीं बल्कि फिल्म डायरेक्टर बनना चाहते थे.




कैसे असिस्टेंट डायरेक्टर से राइटर बनें जावेद अख्तर - e-साहित्य कार्यक्रम में जावेद अख्तर ने इसका खुलासा किया. उन्होंने कहा कि वे कभी राइटर नहीं बनना चाहते थे. ग्रेजुएशन के बाद उनका सीधा प्लान था कि वे असिस्टेंट डायरेक्टेर बनेंगे, वो भी गुरु दत्त की फिल्म के. अख्तर ने बताया कि वे दिग्गज एक्टर गुरु दत्त के बहुत बड़े फैन थे और आज भी हैं. लेकिन गुरु दत्त की फिल्म का असिस्टेंट डायरेक्टर बनने की उनकी चाह अधूरी ही रह गई.


      जावेद अख्तर ने कहा- इत्तेफाक से जब मैं आया तो उसके 8-10 दिन के अंदर गुरु दत्त का निधन हो गया. मैं उनसे मिल भी नहीं पाया. मैं असिस्टेंट डायरेक्टर तो बना लेकिन कमाल अमरोही की फिल्म का. मैं असिस्टेंट डायरेक्टर यही सोचकर बना था कि एक दिन डायरेक्टर बनूंगा. लेकिन सेट पर जब कभी कोई सीन गड़बड़ हो जाता था तो मैं डायरेक्टर की मदद के लिए आगे आता और सीन ठीक करता. फिर मेरा काम देख वे मुझे कहते, अरे तुम तो लिखा करो. तुम तो अच्छे राइटर हो.


     राइटर बनने का सफर बताते हुए जावेद ने कहा- मैंने एक फिल्म के डायलॉग लिखे और मैं उस मूवी को असिस्ट भी कर रहा था. मेरी राइटिंग लोगों को काफी पसंद आई. सभी लोगों ने मेरी बहुत तारीफ की. उस फिल्म के लीड एक्टर सलीम खान थे. मेरी और सलीम साहब की मुलाकात हुई. फिर उन्होंने मुझे कहा कि आप तो बहुत अच्छा लिखते हैं. लिखा करें. फिर हम दोनों साथ में आ गए.