भारत और चीन के बीच सीमा पर तल्खी बढ़ती जा रही है. अमेरिका ने सीमा विवाद पर भारत का समर्थन किया है. इसके बाद से चीन की तिलमिलाहट साफ देखने को मिल रही है. उसके सैनिक हमारी सीमा पर पेट्रोलिंग करने वाले सैनिकों को परेशान कर रहे हैं. वे सामान्य पेट्रोलिंग प्रक्रिया को डिस्टर्ब कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि चीन भारतीय सैनिकों की सामान्य पेट्रोलिंग को बाधित कर रहा है. चीन का ये आरोप गलत है कि हमारे सैनिकों ने उसकी सीमा में घुसपैठ किया है अनुराग ने कहा कि भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control - LAC) से पूरी तरह जानते हैं. ईमानदारी से इसका पालन करते हैं. भारत-चीन के बीच की सीमा को एलएसी कहते हैं. असल में यह चीन की साजिश है कि वह भारत की सामान्य पेट्रोलिंग को बाधित करता रहे.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर भारत की सभी गतिविधियां भारतीय क्षेत्र के अंदर होती हैं. सेना और सरकार ने सीमाओं पर हमेशा ही बेहद जिम्मेदार रवैया अख्तियार किया है. भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है मई के पहले हफ्ते में 5 तारीख को लद्दाख के पैंगोंग लेक के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच भिड़ंत हुई थी. दोनों तरफ से पथराव हुआ. दोनों देशों के कई सैनिक घायल हो गए थे. इस झड़प में करीब 250 जवान शामिल थे.
इसके बाद 9 मई को सिक्किम के नाथूला पास पर भी दोनों देशों के करीब 150 सैनिकों के बीच जमकर हाथापाई हुई थी. लेकिन बाद में मामला शांत हो गया. अधिकारी स्तर पर बातचीत हुई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय जवान सभी द्विपक्षीय समझौतों को बारीकी से समझते हैं. उनका पालन करते हैं. अनुराग ने बताया कि दोनों तरफ के सैनिकों के बीच जो झड़प होती है वो LAC को लेकर बने परसेप्शन की वजह से होती है. ज्यादातर मामलों में तो चीन ही सीमा पर भड़काने वाली हरकतें करता है.
भारत और चीन के बीच करीब 3800 किलोमीटर लंबी LAC की तरह सीमा है. चीन ने मंगलवार को अपने क्षेत्र में भारतीय सेना की घुसपैठ का आरोप लगाया था. उसने दावा किया था कि यह सिक्किम और लद्दाख में LAC की स्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास है. इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर एक मैकेनिज्म बना हुआ है. जिसका शांतिपूर्ण तरीके से पालन किया जाता है. लेकिन बीच-बीच में चीन के सैनिक इस मैकेनिज्म को तोड़ने का प्रयास करते हैं. ऐसे में हमारे जवानों को भी जवाब देना पड़ता है.