चीन से सीमा पर टकराव में भारत के साथ आया अमेरिका

     लद्दाख और सिक्किम से लगी चीन की सीमा पर तनावपूर्ण घटनाक्रमों के बीच अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है. अमेरिकी राजदूत ने कहा है कि इस तरह के विवाद हमें चीन की ओर से पैदा हो रहे खतरे की याद दिलाते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण और पश्चिम एशिया विभाग की प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा, "चीन के उकसावे और परेशान करने वाले रवैये के खिलाफ एक जैसी सोच रखने वाले देश अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और आसियान सदस्य एक साथ आ गए हैं."



     अमेरिका की शीर्ष राजनयिक ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि यह फैसला नई दिल्ली को करना है कि वह तालिबान के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में आना चाहता है या नहीं. हालांकि, उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि काबुल की नई सरकार में तालिबान शामिल होने जा रहा है, ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि अफगानिस्तान की भावी सरकार के साथ उसके 'स्वस्थ संबंध' हों.


     भारत-चीन के मौजूदा तनाव के सवाल पर वेल्स ने कहा, "सीमा पर तनाव की घटनाएं इस बात को याद दिलाते हैं कि चीनी अतिक्रमण का खतरा असली है. चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो या भारतीय सीमा, हम लगातार चीन की तरफ से उकसावे और तनाव बढ़ाने वाली हरकतें देखते हैं. चीन के इस रुख से भी यह भी सवाल पैदा होता है कि चीन किस तरह से अपनी बढ़ती ताकत का इस्तेमाल करना चाह रहा है."


     अमेरिका-तालिबान के बीच फरवरी महीने में हुए समझौते में इस बात की गारंटी ली गई है कि तालिबान अमेरिका के खिलाफ किसी आतंकी हमले में अफगानिस्तान का इस्तेमाल नहीं होने देगा. लेकिन भारत के खिलाफ आतंकी संगठनों की गतिविधियों को लेकर अलग से कोई शर्त नहीं है. हालांकि, भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के तालिबान के साथ संबंध रहे हैं.इस सवाल पर वेल्स ने कहा कि तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धताएं जताई हैं और अमेरिका इस बात को सुनिश्चित करेगा कि अफगान मिट्टी हमारे देश और उसके दोस्तों-सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद का अड्डा ना बन पाए.