चिंताजनक: नोटिस तामिल न होना केस में देरी का प्रमुख कारण

     देश में मुकदमों के लंबित रहने के प्रमुख कारण की पहचान कर ली गई है। यह कारक समन और नोटिस का समय पर तामिल नहीं हो पाना है। मुकदमों के निपटारे में 60 फीसदी देरी इसके कारण ही हैं। इस कमी को दुरुस्त करने के लिए नेशनल सर्विस एंड इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस सिस्टम (तामील और इलेक्ट्रॉनिक तामील) बनाया गया है। देश में 24 मई 2020 तक 3 करोड़ 24 लाख करोड़ केस लंबित हैं।



     इनमें से 90 लाख से ज्यादा दीवानी और दो करोड़ तीन लाख से ज्यादा अपराधिक मुकदमे शामिल हैं। 32 फीसदी केस ऐसे हैं, जो एक साल से कम पुराने हैं। नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के अनुसार, 7 फीसदी केस 10 से 20 साल पुराने हैं, जबकि 1.28 फीसदी केस 30 साल तक और 0.28 फीसदी 30 साल से भी अधिक पुराने हैं।


     नोटिस और समन तामिल होने को समस्या बहुत बड़ी है। जैसे ही केस दायर होता है कोर्ट समन या नोटिस जारी करता है। पक्ष कभी तो खुद नोटिस प्रतिवादी को तामील करवाता है, लेकिन ये अक्सर कोर्ट के जरिए ही भेजा जाता है। लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से नोटिस तामिल करवाया जा रहा है। पार्टी के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ई-मेल पर नोटिस भेजे जा रहे हैं।


लॉकडाउन के दौरान फाइल केस - लॉकडाउन में जीवन भले ही ठहर गया हो लेकिन केस दायर होने की रफ्तार में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया है। पिछले एक महीने में 3049 केस दीवानी और 90,742 केस अपराधिक मामलों के सामने आए हैं। नेशनल डाटा ग्रिड में सभी 633 जिला अदालतों का डाटा है। पूरे देश में 8230 कोर्ट हैं जिनमें 19,794 जज/न्यायिक अधिकारी काम करते हैं।