लिपुलेख को लेकर भारत के ख़िलाफ़ नेपाल में भड़का ग़ुस्सा

     भारत और चीन को जोड़ने वाली एक सड़क परियोजना पर नेपाल ने कड़ा एतराज जताया है. समाचार एजेंसी के अनुसार नेपाल में यह मामला इस क़दर गर्म है कि शनिवार को काठमांडू में भारतीय दूतावास के सामने दर्जनों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए. सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को इन्हें गिरफ़्तार करना पड़ा. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को वीडियो लिंक के ज़रिए 90 किलोमीटर लंबी इस सड़क का उद्घाटन किया था.



     ये सड़क उत्तराखंड राज्य के घाटियाबागढ़ को हिमालय क्षेत्र में स्थित लिपुलेख दर्रे से जोड़ती है. नेपाल की आपत्ति पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को कहा, "हाल ही में पिथौरागढ़ ज़िले में जिस सड़क का उद्घाटन हुआ है, वो पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में पड़ता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री इसी सड़क से जाते हैं."


     भारत सरकार के समाचार सेवा प्रभाग के अनुसार, सीमा सड़क संगठन ने धारचुला से लिपुलेख तक सड़क निर्माण कार्य पूरा किया है. ये सड़क कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के नाम से भी प्रसिद्ध है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिथौरागढ़ से वाहनों के पहले काफ़िले को रवाना किया था. सरकार का कहना है कि इस सड़क से सीमावर्ती गाँव पहली बार सड़क मार्ग से जुड़ेंगे.


     नेपाल का दावा है कि लिपुलेख दर्रा उसका इलाक़ा है. इस दावे के पक्ष में नेपाल ने 1816 की सुगौली संधि का हवाला भी दिया है. नेपाल का कहना है कि सुगौली संधि भारत के साथ उसकी पश्चिमी सीमा का निर्धारण करती है. संधि के तहत महाकाली नदी के पूरब का इलाक़ा जिसमें लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख शामिल हैं, नेपाल के क्षेत्र हैं.