143 वर्षों में पहली बार गुजरात में सादे ढंग से आयोजित होगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा









       गुजरात के अहमदाबाद की विश्व प्रसिद्ध वार्षिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 143 साल में पहली बार कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर अत्यंत सादे ढंग से आयोजित की जाएगी जिसमें मंडली, झांकी और लोगों की भीड़ नहीं होगी। मंदिर के ट्रस्टी महेंद्र झा ने कहा कि यात्रा में सिर्फ तीन रथ ही शामिल किए जाएंगे और हर एक रथ को 30 लोग खींचेंगे। 23 जून को "आषाढ़ी बीज" के दिन आयोजित होने जा रही इस रथयात्रा में मंदिर के पुजारीगण और ट्रस्टी मौजूद रहेंगे। 



     उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा, ''143 वर्षों में पहली बार केवल तीन रथों को ही शामिल किया जाएगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण, इस बार ट्रकों पर सवार श्रद्धालुओं, अखाड़े, गायन मंडली, झांकी आदि नहीं होंगे। यह सादा आयोजन होगा और हम चाहते हैं कि लोग इस बार इसे टेलीविजन पर ही लाइव देखें।''


     परंपरागत रूप से, भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों की अगुवाई में यात्रा करीब 400 साल पुराने मंदिर से सुबह जल्दी शुरू होती है और देर शाम तक वापस लौटती है। यह यात्रा 12 घंटे में 18 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वापस भगवान जगन्नाथ मंदिर पहुंचती है। उन्होंने कहा कि हम इस बार जल्द से जल्द मंदिर पहुंचने का प्रयास करेंगे। सामाजिक दूरी सहित सभी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा।














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