धर्म के नाम पर राजनीति आखिर कब तक..??

                                    -: मध्यप्रदेश संवाददाता - लाला राजेश इंदौरी की कलम से :- 


     सत्ता प्राप्ति का राजनीतिक खेल खेलने वालों ने देश में हिंदू मुस्लिम का जो बीज बोया है, देश के विकास में विनाशकारी षड्यंत्र है, धर्म के मामले में सबकी अपनी सोच और विचारधारा होती है लेकिन मेरे विचार में सच्चाई यह है:-



     एक सुंदर गुलदस्ता तभी बनता है जब उसमें विविध प्रकार के रंग और खुशबू वाले फूल होते हैं।
हमारा देश भी एक गुलदस्ते के समान है, फूल में कांटे हो सकते हैं लेकिन गुलदस्ते में कांटे नहीं होते हैं, हमारे देश में भी विविध प्रकार के लोग विविध प्रकार की बोलियां विविध प्रकार की जाति समुदाय और शक्ल के लोग रहते हैं, हमारा देश अपने आप में एक लघु संसार है। हमारे देश की जनसंख्‍या लगभग 1 अरब 30 करोड़ है। यहां अनेक भाषाओं और बोलियों को बोलने वाले लोग निवास करते हैं। 



     हमारा देश धार्मिक विविधता वाला देश है। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को यहां एक समान दृष्टि से देखा जाता है। हमारा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। 


     यहां अनेक संत और महात्माओं ने जन्म लिया है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, स्वामी विवेकानंद, मुंशी प्रेमचंद, आर्यभट्ट, चरक ऋषि, महादेवी वर्मा, गांधी, बिस्मिल्लाह खान, तानसेन, अब्दुल कलाम, आदि महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। 
महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है। हमारे देश को हमें आत्मनिर्भरता वाला देश बनाना है,
     हमारा देश लोकतंत्र में विश्वास रखता है। यहां सभी को उन्नति करने के समान अवसर प्राप्त हैं। भारत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी आदि शत्रुओं से लोग डटकर मुकाबला कर रहे हैं।  इतनी अधिक खूबियां हैं हमारे देश की इसलिए इस की गरिमा और इसकी शान बनाने के लिए भाईचारा बहुत जरूरी है जिससे हमारे देश के विकास की उन्नति में कोई व्यवधान पैदा ना हो किसी राजनीतिक षड्यंत्र के हम शिकार ना हो धर्म और जाति की लड़ाई ना हो, हमारे समाज में भी गुटबाजी ना हो आपसी द्वेष ना हो, आपसी भाईचारा स्थापित हो...



__राजेश निगम, इंदौर (म.प्र)