जयपुर. गोपाल सैनी (कार्यालय सचिव) ने कहा कि एक राष्ट - एक बाजार से सम्बन्धित विधेयको को वृहद बहस कराये बिना संसद मे पारित कराकर केंद्र सरकार ने आग मे घी डालने जैसा काम कर किसानो के आक्रोश को बढ़ाया है तथा अपने बहुमत के अहकार को दर्शाया है! दूसरी ओर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के लिए कानून नही बनाया जबकि "किसानों की सुनिश्चित आय एवं मूल्य का अधिकार विधेयक 2012" के प्रारूप के आधार पर एक निजी विधेयक को लोकसभा द्वारा 8 अगस्त 2014 को सर्व सम्मत रूप से विचारार्थ स्वीकार किया गया था ! 6 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत भी सरकार ने इसे पारित करने में सार्थक पहल नहीं की। इस कारण किसानो को बाजरा, मक्का, चना, मूंग आदि की उपजो को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 1000 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठा कर बेचने को विवश होना पड़ रहा है ! इसके अतिरिक्त ग्वार, मोठ, अरंडी, महेंदी जैसी राजस्थान की प्रमुख उपजो को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि मे नही लाने से किसानो की अपनी इन उपजे को ओने पोने दामो मे बेचनी पडती है ! अब किसानो के आन्दोलन की गति तेज होगी ! इस दिशा मे 21 सितम्बर सोमवार को प्रदेश की 247 कृषि उपज मंडिया बंद रहेगी ! उस दिन किसान अपनी उपजो को मंडियों मे नही ले जायेंगे
वरन वे मंडियों में पहुँच कर इन विधेयको की प्रतिया जलाकर अपना रोष प्रकट करेंगे ! अपने साथ ले जाने वाले टक्टरो एवं मोटरसाइकलों पर काले झंडे लगायेंगे ! प्रदेश के 50 संगठनों ने संघर्ष के समान कार्यक्रम के आधार पर 23 अगस्त को जयपुर के किसान भवन मे आयोजित बैठक मे मंडिया बंद करने का निर्णय लिया था ! उस के उपरांत संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपजिला कलेक्टर एवं तहसीलदारो के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किये जा रहे है ! इसी क्रम मे किसान महापंचायत के राष्टीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्त्व मे 8 दिवसीय किसान जागरण यात्रा का आयोजन कर 29 जिलो के किसानो तक सन्देश पहुंचाया गया ! अध्यादेश लाने के उपरांत देश के किसानो की ओर से किसान महापंचायत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी को 14 जून को ही पत्र प्रेषित कर दिया था ! सुनवाई नही होने पर 21 जुलाई को आन्दोलन की चेतावनी के साथ दूसरा पत्र प्रेषित किया !
उस के बाद से देश भर के किसानो को आन्दोलन के लिए कोरोना की विपरीत परिस्थितियो मे भी सडको पर उतरने के लिए विवश होना पड़ा ! तब भी सरकार ने जनमत जाने बिना ही संसद मे सार्थक बहस का समुचित अवसर नही देते हुए अपने बहुमत के अहंकार के आधार पर इन विधेयको को पारित करवाया ! इतना ही नही तो अध्यादेश एवं विधेयको की प्रतिया हिन्दी एवं अन्य प्रादेशिक भाषाओ मे उपलब्ध कराये बिना ही आनन् फानन मे कानून बनाने का मार्ग प्रशस्त किया ! जानकारी के अधिकार से वंचित रखते हुए देश की जनता को अंधेरे में रखते हुए इनकी प्रतिया अंग्रेजी मे ही तैयार कराई गई ! व्यापारियों ने भी की मंडी बंद करने की घोषणा - राजस्थान के व्यापारियों ने किसान संगठनो के मंडी बंद करने के निर्णय को समर्थन दिया है ! इसी क्रम मे राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेरयमेन बाबूलाल गुप्ता ने केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट - एक बाजार के अंतर्गत बनाये जा रहे
कानूनों को किसान एवं व्यापारी विरोधी बताते हुए सभी व्यापारियों से 21 सितम्बर को अपना कारोबार बंद रखने का आवाहन किया है ! मजदूर भी हए साथ - मंडियों में काम करने वाले मजदूरों मे पल्लेदारों एवं हमालो ने भी इन कानूनों को गरीब एवं मजदूरों के लिए घातक बताते हए मंडी बंद रखने का निर्णय किया है ! विशेषकर कोटा मे भामाशाह मंडी में काम करने वाले मजदूर नेताओ ने कोटा मे किसान महापंचायत की संभागीय स्तर बैठक में भागीदारी कि एवं गंगानगर, हनुमानगढ़ जैसे जिलो मे मजदूर नेताओ ने मंडी बंद को सफल करने के लिए साइकिलो से जागरण यात्रा आयोजित की !