चीन पर संसद में चर्चा अभी ठीक नहीं : रक्षा मंत्री

लेखक - रवि आनंद (वरिष्ठ पत्रकार) 


     भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। कुछ दिनों पहले देर रात दोनों देशों के बीच 45 साल बाद फायरिंग की घटना भी हुई। लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर पिछली बार 1975 में गोलियां चली थीं। उस समय अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पैट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हुए थे। 15 जून को गलवन घाटी में हिंसक झड़प के बावजूद भी दोनों देशों के बीच गोली नहीं चली थी लेकिन जून के तीन महीने बाद परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया और स्थिति चीन की अड़ारियल रवैये से बाद से बदत्तर होती जा रही है दोनों देश युद्ध के हिसाब से हरसंभव तैयारी कर रहे हैं इस बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक में सांसदों को इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि संसद में अभी बहस नहीं किया जा सकता है।


(Photo - सांकेतिक) 



     1993 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें सहमति बनी थी दोनों देश सीमा पर किसी भी हाल में फायरिंग नहीं करेंगे। इसी समझौते के चलते अभी तक भारत चीन पर गोलियां बरसने से बच रहा था। लेकिन अब आगे ईट का जवाब पत्थर से देने की तैयारी कर लिया है। प्रधानमंत्री से मिली हरि झंडी के बाद तनाव के बीच सरकार का सर्वदलीय बैठक को बुलाना जवानों को मनोबल बढ़ाने के लिए जरूरी समझा क्योंकि रक्षा मंत्री ने संसद में सारे सांसदों से सेना के मनोबल बढ़ाने के लिए सर्वसम्मति से सेना के साथ खड़े रहने की बात बताई थी। वहीं विपक्षी दलों को सवालों के लिए सरकार ने बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई.


     जहां सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत विभिन्न पार्टियों के बड़े नेता भाग ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में चीन से निपटने के लिए सभी दलों के बीच एकराय कायम किया गया है। गलवन घाटी में 15 जून को हुई झड़प और पिछले महीने की 29 और 30 तारीख को दक्षिण पैंगोंग झील के किनारे घुसपैठ की कोशिश के बाद फायरिंग की यह बड़ी घटना है। उस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये थे। इस दौरान चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने उसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 35 चीनी सैनिक हताहत हुए थे।