कंगना केस में BMC को कड़ी फटकार

जज ने कहा- पहले की लिस्ट पर क्यों नहीं तोड़े निर्माण?


     कंगना रनौत के मुंबई स्थित दफ्तर में तोड़फोड़ मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट में शुरू हो गई है. बीएमसी को कोर्ट को बताना होगा कि उन्होंने जितनी तेजी से कंगना के दफ्तर पर कथित अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई की, क्या बाकी मामलों में भी उतनी तेजी से ही कार्रवाई करती है. 



कंगना के केस में कोर्ट में हुई सुनवाई 


      कंगना रनौत बनाम एमबीसी केस की सुनाई जस्टिस एस कथावाला और जस्टिस रियाज चागला ने की. इसमें कथावाला और चागला ने बीएमसी के वकील अस्पी चिनॉय से कंगना के ऑफिस में तोड़फोड़ के बाद फोटो लिए जाने पर सवाल किए. कोर्ट को बताया गया था कि मुकादम ने अपने फोन में फोटो ली थी. जबकि चिनॉय ने कोर्ट को कहा कि एक सब इंजिनियर ने कंगना के टूटे ऑफिस की फोटो अपने फोन में ली थी. जस्टिस कथावाला ने उनसे पूछा कि क्या ये सब इंजिनियर का काम था. इसके जवाब में चिनॉय का कहा कि उन्हें लगता है कि उसी का काम था. 


     कोर्ट ने सवाल किया कि मुकादम ने क्यों कहा कि उनसे फोटो अपने फोन में खींची हैं जबकि ऐसा नहीं था. चिनॉय ने इसके जवाब में कहा कि उसने मुकादम से सुनाई के दौरान ही ये बात पूछी थी और उसने यही कहा था कि फोटो उसके पास है. लेकिन सुनवाई के खत्म होने के बाद उसे पता चला कि मुकादम नहीं बल्कि सब इंजिनियर ने फोटो लिए हैं. चिनॉय ने कहा कि इसीलिए उसने सोमवार को कोर्ट को ये बताना सही समझा. कोर्ट ने चिनॉय की इस बात पर तारीफ की. 


कंगना के वकील ने रखा अपना पक्ष


     कंगना की तरफ से उनके वकील बिरेन्द्र सराफ ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि कंगना डेवलपमेंट कंट्रोल रुल की एक्सपर्ट नहीं है. मैं किसी भी प्रकार की परमिशन लेने के बारे में जानने के लिए किसी एक्सपर्ट की राय लेता. पार्टियों के पास नियमितीकरण के लिए जाने का विकल्प होता है, जो कि कंगना को नहीं दिया गया. क्योंकि प्राधिकारियों ने प्रावधानों के हिसाब से कुछ नहीं किया. कंगना को सभी मौकों से वंचित रखा गया, क्योंकि अधिकारियों ने एक प्रावधान लागू किया था जो पहले लागू नहीं था. 


     सराफ ने आगे कहा कि ऐसे मामले भी हुए हैं जहां लोगों को नियमितीकरण के बाद भी अपने घर को बनाए रखने की अनुमति दी गई है. सराफ के अनुसार यह उस व्यक्ति के लिए भी एक उपाय है जो बीएमसी से संपर्क कर नियमित जुर्माने के भुगतान के साथ नियमितीकरण की मांग करता है.