उत्तर प्रदेश संवाददाता (राहुल वैश्य)
हाथरस प्रकरण के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. जिसमें सरकार द्वारा कहा गया है कि हिंसा की आशंका से, पीड़िता के शव का रात में अँतिम संस्कार स्थानीय प्रशासन द्वारा मजबूरन कराना पड़ा। इसके पीछे कारण यही था कि प्रदेश सरकार के पास ख़ुफ़िया इनपुट थे जिससे हाथरस प्रकरण के बाद प्रदेश की लॉ एंड आर्डर को शरारती तत्वों द्वारा बिगाडा़ने का अंदेशा था। इसके साथ ही हलफनामे में प्रदेश सरकार ने माननीय कोर्ट को बताया है कि हाथरस प्रकरण के संबंध राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश भी की जा चुकी है। इसी हलफनामे में राज्य सरकार ने यह भी बाताया कि फॉरेंसिक जाँच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है. हलांकि 22 सितम्बर को पीड़िता के दुबारा बयान के आधार पर ही सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है।
(Photo - समझौता होने से पूर्व निजीकरण का विरोध करते पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारी)
इधर मंगलवार की शाम को प्रदेश में दो दिन से निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर डटे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों ने समझौते के बाद हड़ताल वापिस ले ली और सभी कर्मचारी काम पर लौट आये। इस समझौते की वार्ता में सहमति यह बनी कि सरकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों और अभियंताओं को बिना विश्वास में लिए निजीकरण नही करेगी ।
गौरतलब है कि इस हड़ताल के चलते पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहरों की विधुत व्यवस्था फेल सी हो गई और इस कारण से इलाहबाद विश्वविद्यालय को भी 6 और 7 अक्तूबर की प्रस्तावित अकादमिक परीक्षाएं भी टालनी पड़ी।
प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना सेे संक्रमित 3,663 नये मामले आए हैं। जबकि पिछले 24 घंटे में 4,432 कोरोना संक्रमित मरीज उपचारित होकर डिस्चार्ज किए गये हैं । अब तक कुल 3,70,753 कोरोना संक्रमित मरीज पूर्णतया उपचारित होकर डिस्चार्ज किए गए हैं, प्रदेश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों का रिकवरी का प्रतिशत 88.07% हो चुका है लेकिन प्रदेश में 44,031 कोरोना के एक्टिव मामले अभी भी बने हुए हैं ।