स्कूल फीस मुद्दा .... सरकार के ऑर्डर पर "अभिभावकों" में आक्रोश, कहा आदेश चुनावी झुनझुना 

सभी खर्चे अभिभावकों के फिर 60 या 70 फीसदी फीस क्यो देंवे - --- अभिभावक समिति 


ट्यूशन फीस कोन निर्धारित करेगा, इसकी पालना कोन करवाएगा


 इस आदेश से सभी कन्फ्यूजन में, नुकसान केवल अभिभावकों का


     जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को राज्य सरकार ने जो स्कूल फीस का निर्धारण किया गया स्वागत योग्य तो है किंतु उतना ही कन्फ्यूजन भी अभिभावकों के जेहन में डाल दिया गया है। संयुक्त अभिभावक समिति ने गुरुवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार ने जो आदेश जारी किया है वह बेहद कन्फ्यूजन वाला आदेश है. इस आदेश के बाद अभिभावकों में आक्रोश उतपन्न हो गया है। सरकार के इस आदेश से साफ झलकता है यह आदेश केवल चुनावी झुनझुना है। 



     समिति प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि आदेश में फीस को लेकर जो आदेश दिया गया है वह केवल एकतरफा दिया गया है. सरकार द्वारा गठित समिति ने जब समिति के अधिवक्ता से सुझाव मांगे थे, तब हमने अपनी बात रखते हुए 25 फीसदी फीस वसूलने का सुझाव दिया था क्योंकि अभिभावक जो ऑनलाइन क्लास बच्चों को दिलवा रहे हैं,  उसमे सभी खर्चे अभिभावकों को अतिरिक्त उठाने पड़ रहे हैं.  जो स्कूल फीस से भी अधिक के खर्चे हैं। सरकार ने स्लेबस के आधार पर फीस निर्धारित की है जबकि सीबीएसई बोर्ड ने दो महीने पहले 30 फीसदी स्लेबस कम किया था और राजस्थान बोर्ड ने हाल ही में 40 फीसदी स्लेबस कम किये थे। ऐसे में फीस कैसे निर्धारित की जा सकती है? जब स्लेबस को लेकर ही कन्फ्यूजन स्वयं सरकार के स्तर पर है। जहां तक 60 फीसदी  ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर फीस लेने की बात है वह जायज नहीं है क्योंकि सरकार स्वयं यह बात बता रही है कि ऑनलाइन जो शिक्षा दी जा रही है वह केवल कैपेसिटी बिल्डिंग हेतु है। जबकि सरकार ने इस ओर बिल्कुल भी ध्यान केंद्रित नही किया जबकि उच्च शिक्षा में अतिरिक्त खर्चा अभिभावकों को स्वयं उठाना पड़ रहा है। जिसमे स्कूलों का खर्चा  बहुत ही कम हो रहा है. इसलिए कैपेसिटी शुल्क 25 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। 


     प्रवक्ता अरविंद अग्रवाल ने बताया कि सरकार द्वारा यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि स्कूल खुलते समय जो 60 या 70 फीसदी ट्यूशन फीस की राशि ली जाएगी वह पूरे वर्ष के कोर्स के हिसाब से होगी या स्कूल खुलने के स्तर पर होगी? महीनों के हिसाब से इसके अतिरिक्त जिन-जिन विद्यालयों में ट्यूशन फीस का निर्धारण नहीं है,  उनका निर्धारण कैसे होगा? वह भी  स्पष्ट नहीं है. हालांकि सरकार द्वारा फीस एक्ट 2016 के आधार पर फीस का निर्धारण करने की बात कही है परंतु उसकी पालना कैसे सुनिश्चित होगी यह स्पष्ट नहीं है? इस कारण ऐसा लगता है की  सरकार द्वारा सुविधा देने की कोशिश तो की परंतु निर्णय भविष्य के गर्त में ही किया गया है।


     समिति लीगल सेल अध्यक्ष अधिवक्ता अमित छंगाणी ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा  बोर्ड के रजिस्ट्रेशन नाम पर मनमानी फीस वसूली रोकने के प्रयास किए हैं. वह सराहनीय है एवं जिनके द्वारा ऑनलाइन शिक्षा नहीं ली जा रही है. उनको भी सुविधा प्रदान की है कि वे स्कूल खुलने पर अपना कोर्स पूर्ण कर सके और 70 फीसदी ट्यूशन फीस स्कूल खुलने के बाद  लेने का प्रश्न है, वह बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है और फिलहाल जो आदेश दिया है वह फाइनल आदेश नही है. अभी तो आदेश की विवेचना कोर्ट द्वारा किया जाना बाकी है और आदेश मैं कई कानूनी पहलू को नजरअंदाज कर जारी किया गया है। उक्त आदेश डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट मैं प्राप्त शक्तियों के अंदर होता तो ज्यादा बेहतर होता।