अर्नब गोस्वामी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली 

From - P.C. Bhandari (Advocate)


हाईकोर्ट ने कहा निचली अदालत में जमानत याचिका पेश होने पर न्यायालय चार दिन में फैसला करे


     मैंने परसों ही कहा था अर्नब गोस्वामी में मजिस्ट्रेट के सामने जमानत याचिका प्रस्तुत करनी चाहिए थी और साथ में हाईकोर्ट में एफआईआर खारिज करने की याचिका लगानी चाहिए थी। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका नहीं लगानी थी क्योंकि उसको हिरासत में न्यायालय के आदेश से भेजा था. अर्नब गोस्वामी के वकीलों ने गलत राय दी थी।



     अब एक समस्या और है कि मुंबई पुलिस ने रिमांड के लिए सत्र न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है. उस पर आज बहस होगी और काफी संभावना है कि याचिका स्वीकार कर दो दिन का रिमांड दिया जाए या मजिस्ट्रेट के पास पुनर्विचार के लिए भेजा जाए।


     एक बात ओर, जो आर भारत चैनल बार बार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहा है और गुमराह कर रहा है. उसका भी न्यायपालिका पर प्रभाव पड़ता है। इनको संयम रखना चाहिए। गलत रिपोर्टिंग नही करनी चाहिए। ये पत्रकारिता पर हमला नहीं है. अर्नब गोस्वामी को सवाल पूछने पर गिरफ्तार नहीं किया गया है. उसको स्टुडियो बनवाने पर 83 लाख का भुगतान नहीं करने पर मां बेटे ने सुसाइड नोट में इसका नाम लिख कर आत्म हत्या की है और इसके खिलाफ 306 आईपीसी का मुकदमा है और ये इस मुद्दे को छुपाकर प्रश्न पूछने पर गिरफ्तार करने का मामला बता रहे हैं. इससे भी न्यायपालिका नाराज होती है। ये मै इसलिए बता रहा हूं कि मुझसे बहुत लोग इस विषय पर पूछते हैं.