बेटियाँ कोख में मरने या बलात्कार हेतु पैदा नहीं होती हैं - अजीत सिन्हा

     सरकार के द्वारा दिया गया नारा "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ", वास्तव में भारतीय समाज में कोराा ही साबित हो रही हैं क्योंकि अब भी बेटियों को कोख में मारने के केस चोरी - छिपे हो रहे हैं और साथ में अबोध सहित, बड़ी बेटियों का बलात्कार लगातार हो रहाा है और उनमें से कईयों को तो जान से मार दिया जा रहा है और न जाने कितनी निर्भया हवस की भेंट चढ़ेगी? और यह भारतीय सभ्य समाज पर एक प्रश्न चिह्न है?

     कुछेक पुरुषों की अक्षम्य गलती का खामियाजा पुरुष समाज की नैतिकता और सभ्यता पर भी एक प्रश्न चिह्न खड़ा होता है और इसका जीता - जागता उदहारण ग्राम गंगौली ओ. पी. डालमिया नगर जिला रोहतास की दीपोत्सव के दिन में घटी घटना है. जहां एक 8-9 साल की मासूम बच्ची को एक 40 वर्षीय पुरुष की हवस की भेंट चढ़ गई और बाद में उसकी हत्या कर दी गई और जिले के एस. पी. महोदय की देख रेख में उसकी क्रिया कर्म अग्नि की भेंट चढा कर कर दिया गया ताकि आगे यदि फिर से पोस्टमार्टम की जरूरत हो तो हो न सके। 

      ऐसे प्रशासन के फैसले पर मुझे घिन आती है और इस हेतु मैं क्षोभ और रोष प्रकट करता हूं क्योंकि सभी सनातनियों को विदित है कि किसी भी अबोध बच्ची या बच्चा की दाह - संस्कार मिट्टी डालकर किया जाता है अर्थात्‌ उन्हें मिट्टी खोदकर गाड़ दिया जाता है. तो आखिर किसके दवाब में प्रशासन ने अग्नि संस्कार वर्तमान एस. पी. महोदय के आदेश और देखरेख में कराया? और साथ में 10 से 20 पुलिस वाले के साथ-साथ दरोगा, ग्राम मुखिया, पंडित और कुछ परिजन इसके मूक गवाह बने. परिजनों से बात करने पर उन्होंने कहा कि उस समय हमलोग गहरे सदमे में थे और मिट्टी संस्कार हेतु आग्रह करने पर भी उनकी नहीं सुनी गई और प्रशासन द्वारा मुखिया को 3000 हजार रुपये देकर लकड़ी मगांकर अग्नि संस्कार कर िदया गया.

      प्रशासन द्वारा इस तरह की कारवाई निंदनीय है और अक्षम्य भी लेकिन उन पर ऊंगली कौन उठाये क्योंकि पीड़ित बहुत ही गरीब तबके का है और बाहर में मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करता है. वो भला हो स्थानीय प्रसिद्ध डॉ एस. बी. सिन्हा का जिन्होंने फौरी तौर पर मदद भी की और भविष्य में किसी भी तरह की मदद का वादा भी किया. साथ में समाज सेवक दयानिधि श्रीवास्तव  का जिन्होंने समाज के लोगों से संपर्क कर फौरी तौर पर 40-50 हजार रुपये की मदद पीड़ित परिवार को कराई न तो गरीबों की सुनने वाला कौन?

     नीतीश सरकार के गठन के साथ ही सुशासन के दिन दिखने लगे हैं क्योंकि अभियुक्त की गिरफ्तारी त्वरित गति से लाश के साथ हुई वो भी ग्रामीणों के संज्ञान लेने की वज़ह से और अभियुक्त को भीड़ से बचाकर ले गये नहीं तो रोषित पब्लिक वहीं काम तमाम कर देती. एक और निर्भया माँगे इन्साफ और इस इन्साफ में शासन - प्रशासन की ओर पीड़ित परिवार को एक करोड़ की आर्थिक मदद और स्पीडी ट्रायल फास्ट ट्रैक कोर्ट से मुक़दमे का निष्पादन ताकि अभियुक्त को मृत्यु दंड प्राप्त हो और इस हेतु प्रशासन द्वारा सत्यता से लबरेज बौध्दिक चार्जसीट सबमिशन अति शीघ्र हो. मुझे न्यायपालिका, शासन - प्रशासन पर अब भी पूर्ण भरोसा है कि पीड़ित परिवार को न्याय अवश्य मिलेगा लेकिन इस बात का डर भी कि कहीं कमजोर chargesheet submit न कर दी जाये. जिससे अभियुक्त को कहीं तुरंत बेल न मिल जाये. 

     इस हेतु राष्ट्रवादी विकास पार्टी ने धरातल पर धरना - प्रदर्शन, राजभवन मार्च तथा महामहिम राष्ट्रपति महोदय, माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत उनके सभी अंगों को ज्ञापन सौंपने का मन बना चुकी है जैसा कि मेरी बात संगठन महासचिव सेवानिवृत्त बिग्रेडियर अनिल कुमार श्रीवास्तव और प्रदेश अध्यक्ष  संजय रघुवर से हो चुकी है और यह प्रयास िकया जाएगा प्रजातंत्र के सभी अंगों में इस वीभत्स घटना की बात जल्द से जल्द पहुचें. क्योंकि मैंने न जुर्म सहना सीखा है और न ही जुर्म करना और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर ही रहेंंगे.

     यहां पर यह भी विदित हो कि इस मुहिम में प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा समर्थक मंच  अशोक कुमार  का भी साथ भरपूर मिल रहा है और साथ में मुझ से जुड़ी सभी संगठन, संघों, संस्थाओं का भी भरपूर साथ मिल रहा है और अन्याय के खिलाफ सभी साथी इस प्रकरण पर एक हैं .