हिंदी फिल्मों में पहला भोजपुरी गीत लिखने वाले पूर्वांचल के गौरव मोती बीए...अरविंद चित्रांश

       पूर्वांचल 30 दिसंबर 2020! बॉलीवुड का पहला भोजपुरी गीत लिखकर, हिंदी फिल्मों को भोजपुरी गीतों से परिचित कराने वाले पूर्वांचल के प्रसिद्ध गीतकार मोती बी०ए० का गीत-

कठवा के नईया बनइहे रे मलहवा,

नदिया के पार दे उतार...

छपक छपक चले ओ छपक छपक चले तोरी नय्या रे मलहवा,आई पुरवाइ के बहार...

     बालीवुड का पहला भोजपुरी गीत लिखने वाले भोजपुरिया महाकवि गीतकार मोती बी०ए० का जन्म 1 अगस्त 1919 को बरेजी, बरहज, देवरिया में हुआ था और आपकी मृत्यु 18 जनवरी 2009 को हो गई थी. 

     पूर्वांचल के लोककला संरक्षक, रंगनिर्देशक, अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के संयोजक अरविन्द चित्रांश बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि पूर्वांचल के रहने वाले गीतों के दुनिया के बेताज बादशाह, हिंदी फिल्मों में भोजपुरी की पहचान दिलाने वाले मोती बीए का जिक्र बड़े ही जोरदार से हर भोजपुरिया वासी को लेना अपने पूर्वांचल और देश का गौरव होगा, 

    1948 में रिलीज अभिनेता दिलीप कुमार और कामिनी कौशल अभिनीत 'नदिया के पार' फिल्म के लिए आप द्वारा लिखा गया गीत- 

 कठवा के नइया बनइहे रे मलहवा' बालीवुड का पहला भोजपुरी गीत है, इस फिल्म का 'मोरे राजा हो, ले चल नदिया के पार' गीत सुपरहिट हुआ था.

     मूलतःभोजपुरी परिवेश से सम्बद्ध होने के कारण मोतीजी को वह यथेष्ट सम्मान और प्रसिद्धि नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ० कृष्णदेव उपाध्याय और डॉ० रामचन्द्र तिवारी ने इस बात को स्वीकार किया है कि हिन्दी संसार ने मोती बी०ए० के कविकर्म का उचित मूल्यांकन नहीं किया, फिर भी मोती बी०ए० भोजपुरी कविता और भोजपुरिया समाज में आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं, 'सेमर के फूल' और 'तुलसी रसायन' आपके लोकप्रिय भोजपुरी काव्य संग्रह हैं, कालिदास कृत 'मेघदूत' का भोजपुरी काव्यानुवाद भी आपने किया, 'असो आइल महुआबारी में बहार सजनी', 'कटिया के आइल सुतार', 'तिसिया के रंग सरसइया के सारी', 'कहवाँ से आइल अन्हरिया सुरुज दियना बारेले हो', 'सनन सनन सन बहेले पुरवइया' आपके कालजयी भोजपुरी गीत हैं,ऐसे महापुरुष भोजपुरिया धरती पर कभी-कभी आते हैं.