सूचना अधिकारियों से ढाई करोड़ रुपए जुर्माना वसूल करे आयोग - हाई कोर्ट

 News from - P.C. BHANDARI (Advocate)

     सूचना अधिकारियों द्वारा समय पर सूचना नहीं देने पर, आयोग उन पर जुर्माना लगाया जाता है लेकिन सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से वह जुर्माना राशि वसूल नहीं की जाती है और करीब दो करोड़ पचास लाख रुपए की राशि उनमें बकाया है. इसलिए अधिवक्ता पूनम चन्द भंडारी एवं टी एन शर्मा एडवोकेट ने अजमेर निवासी आर टी आई कार्यकर्ता और पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था के आजीवन सदस्य तरूण अग्रवाल के जरिए जनहित याचिका  पर राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश की. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री इंद्रजीत मोहंती एवं जस्टिस श्री सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने  बहस सुनकर राज्य सूचना आयोग को निर्देश दिए कि सभी देय जुर्माना तुरंत वसूलें।

     याचिकाकर्ता तरुण अग्रवाल की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता श्री पूनम चंद भंडारी एवं डॉ टी एन शर्मा ने कोर्ट को बताया की सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना उपलब्ध नहीं करवाने पर द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग के समक्ष होती है एवं सुचना के अधिकार अधिनियम की धरा 20 के अंतर्गत राज्य सूचना आयोग को यह अधिकार है कि वह लोक सूचना अधिकारियो के दोषी पाए जाने पर उन पर पच्चीस हज़ार रूपये तक जुर्माना वसूल कर सके।  याचिकाकर्ता को राज्य सूचना आयोग के द्वारा सुचना के अधिकार के अंतर्गत ज्ञात हुआ की पिछले करीब दस वर्ष से दोषी अधिकारियो से करीब दो करोड़ पचास लाख रूपये का जुर्माना वसूल किया जाना बाकी है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से जुर्माना राशि वसूल नहीं किये जाने से सुचना के अधिकार का महत्तव कम हो रहा है तथा लोक सूचना अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे है.

      मगर न तो सरकार एवं न ही सूचना आयोग सभी देय जुर्माना वसूल करने के लिए कोई महत्तव पूर्ण कदम उठा रही है। इस सम्बन्ध में याचिकाकर्ता ने मुख्य सचिव एवं राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को नोटिस भी भेजा था मगर उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। याचिका में सुचना के अधिकार अधिनियम की प्रभावी रूप से पालना करवाने एवं देय जुर्माना की तुरंत वसूली के निर्देश देने की प्रार्थना की गयी।  न्यायालय ने सुनवाई के बाद याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सूचना आयोग को बकाया जुर्माना राशि की वसूली के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए गए।