पवित्र वरमाला रस्म का बनता मजाक

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     आजकल शादियों में ये बात काफी नजर आ रही है कि शादी के समय स्टेज पर वरमाला के वक्त, वर या दूल्हा बड़ा तनकर खड़ा हो जाता है. जिससे दुल्हन को वरमाला डालने में काफी कठिनाई होती है, कई बार दुल्हन भी ऐसा ही व्यवहार दुल्हे के साथ करती है। कभी कभी वर पक्ष के लोग दूल्हे को गोद में उठा लेते हैं और फिर वधु पक्ष के लोग भी वधु को गोद में उठाकर जैसे तैसे वरमाला कार्यक्रम सम्पन्न करवा पाते हैं.

आखिर ऐसा क्यों? क्या करना चाहते हैं हम?  

     हम एक पवित्र संबंध जोड़ रहे हैं या इस नये संबंध को मजाक बना रहे हैं और अपनी जीवनसँगनी को हजार-पांच सौ लोगो के बीच हम उपहास का पात्र बनाकर रह जाते हैं. कोई प्रतिस्पर्धा नही हो रही है, दंगल या अखाड़े का मैदान नही है, पवित्र मंडप है जहां देवी-देवताओं और पवित्र अग्नि का आवाहन होता है. भगवान् प्रभु श्रीराम जी ने सम्मान सहित कितनी सहजता से सिर झुकाकर सीता जी से वरमाला पहनी थी.

रामो विग्रहवानो धर्म: 

     यही हमारी परंपरा है. विवाह एक पवित्र बंधन है, संस्कार है, कृपया इसको मजाक ना बनने दे..‌और इसकी गरिमा को बनाये रखें।