कतिपय आजादी के बाद राष्ट्र में शासन करने वाली कॉंग्रेस से राष्ट्र भक्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती है. जिसकी बुनियाद व्यक्तिवाद, परिवारवाद और छद्म भेष में धर्मवाद हो उनसे पूर्ण रूपेण राष्ट्र के कल्याण की कामना नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके मूल में स्व उत्थान, परिवार उत्थान, इस्लाम और ईसाईयत उत्थान ही है जिसे राष्ट्र की जनता को भलीभांति समझनी होगी।
इसके लिए राष्ट्र की जनता को सन् 1947 से कॉंग्रेस द्वारा शासित समय के काल पर गौर करना होगा, जिससे जवाब स्वतः मिल जाएगा कि राष्ट्र में कॉंग्रेस शासनकाल के दौरान उत्थानों की श्रेणी में क्या - क्या आता है और उनके गुप्त एजेंडे सार्वजनिक होकर फल - फूल रहे हैं. उनके समय में राष्ट्र केवल लाल बहादुर शास्त्री के काल को छोड़कर कैंसर जैसी परिस्थितियों से गुजर रही थी यदि आप इसे बीमारी के स्वरुप में जाने, इस तरह की अभिव्यक्ति अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राष्ट्र प्रहरी सम्मानीय पत्रकारों को बताई।
(अजीत सिन्हा) |
परिवर्तन संसार का नियम है जैसा कि आप सभी जानते हैं, राष्ट्र भक्तों से सत्ता पहले दैत्य मुगलों ने छीनी तदोपरांत सत्ता अंग्रेजों के हाथ में आयी और उसके बाद कॉंग्रेस और फिर जनता पार्टी और फिर कॉंग्रेस और अब देश की बागडोर भाजपा के हाथ में है लेकिन मुझे पता है कि एक न एक दिन भाजपा भी सत्ता विहीन होगी तो क्या पुनः राष्ट्र की जनता काँग्रेस को सत्तासीन करेगी या राष्ट्र में चौथी शक्ति के उद्भव की तैयारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर बनने वाली पार्टी नेताजी सुभाष पार्टी को आशीर्वाद देकर राष्ट्र भक्तों को सत्ता सौंपेगे ? यह राष्ट्रवासियों के मनन का विषय है क्योंकि राष्ट्रीय अमन महासंघ के नेतृत्व में नेताजी सुभाष सेना के सहयोग से बनने वाली नेताजी सुभाष पार्टी सही मायनों में राष्ट्र भक्तों की पार्टी होगी। जय हिंद !