From - MANOJ AMARNATH
इतने बेताब इतने बेकरार क्यों हैं
लोग जरूरत से होशियार क्यों है
मुंह से तो सभी दोस्त हैं लेकिन
पीठ पीछे दुश्मन हजार क्यों है
हर चेहरे पर एक मुखौटा है यारों
लोग जहर में डूबे किरदार क्यों है
सब काट रहे हैं या एक दूजे को
लोग सभी दो धारी तलवार क्यों है
सबको सबकी हर खबर चाहिए
लोग चलते फिरते अखबार क्यों है
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे
इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे
कल क्या होगा कभी मत सोचो
क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल दे