9 महीनों से स्कूल बंद है, बच्चों ने स्कूलो के संसाधन उपयोग में नही लिए, फिर भी फीस क्यो
कोर्ट ने फीस एक्ट की पालना करवाने के आदेश दिया, किन्तु अभी तक कोई कार्यवाही नही
जयपुर। रविवार को राज्य सरकार ने कृषि कानून को लेकर शहीद स्मारक पर धरना दिया और कृषि कानून को वापस लेने की मांग की, जबकि इसी शहीद स्मारक पर पिछले महीने स्कूल फीस मुद्दे को लेकर 19 दिनों तक धरना देने वाले संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि " राज्य सरकार कृषि कानून के सहारे स्वयं की जिम्मेदारियों से भाग रही है। "
प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक पिछले 9 महीनों से निजी स्कूलों की हठधर्मिता का लगातार शिकार हो रहा है, जिसकी शिकायत शिक्षा अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षा मंत्री को कई मर्तबा की जा चुकी है, राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश स्पष्ट करवा दिए है किंतु अभी तक राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की पालना तक सुनिश्चित तक नही हुई है। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार 15 दिनों में पीटीए का गठन करना, उसके बाद एसएलएफसी का गठन कर फीस का बॉयफ्रकेशन करना अनिवार्य है जिसमें स्कूलो को प्रत्येक अभिभावक को बताना होगा कि वह फीस में ट्यूशन फीस कितनी ले रहे है और अन्य खर्चे कितने ले रहे है। किंतु हाईकोर्ट के आदेश जारी हुए आज 16 दिन हो गए है ना शिक्षा मंत्री हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करवा करवा रही है और ना ही शिक्षा अधिकारी हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवा रही है।
इसके विपरीत राज्य सरकार केवल राजनीति स्वार्थ सिद्ध करने के लिए प्रदेश की जनता को धोखा दे रही है, स्वयं की जिम्मेदारियों से भागने के लिए प्रत्येक दिन नए द्वार खोज रही है। 1 दिसम्बर को शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों के धरने को हठधर्मिता करार दिया था, जो आज खुद जिम्मेदारी पर होते हुए सरकार की हठधर्मिता का परिचय दे रहे है। प्रदेश का 2 करोड़ से अधिक अभिभावक आज भी स्कूलो की मनमर्जीयों से पीड़ित और प्रताड़ित है किंतु शिक्षा मंत्री अपने राजधर्म का पालन करने के बजाय पार्टी प्रेम के चलते दिल्ली दरबार की प्रक्रिमा लगा रहे है।
जबकि जिन अभिभावकों और बच्चों ने स्कूलो के संसाधन उपयोग में ही नही लिए, उनकी ऑनलाइन क्लास तक अटेंड नही की तो वह अभिभावक क्यो स्कूलों की फीस जमा करवाएगा, इसका जवाब आज 9 महीनों बाद भी राज्य सरकार नही दे रही है।
आखिरकार कोर्ट के आदेश की पालना करवाएगा कौन
संयुक्त अभिभावक संघ अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि 18 दिसम्बर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने आदेश स्पष्ट कर दिए, जब स्कूल खुलेंगे तब सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में 70 फीसदी और आरबीएसई बोर्ड के स्कूलो में 60 फीसदी ट्यूशन फीस ली जा सकेगी, अगर कोई इस दौरान ऑनलाइन क्लास ले रहे है तो उनको कैपेसिटी बिल्डिंग के रूप में 60 फीसदी केवल ट्यूशन फीस में से देनी होगी। किन्तु निजी स्कूल संचालक ना फीस एक्ट 2016 की पालना कर रहे है और ना ही फीस का कोई बायफ्रकेशन कर रहे है, फुल फीस को ट्यूशन फीस बताकर अभिभावकों को लगातार परेशान कर रहे है, ऐसे में आखिरकार राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश की पालना कौन करवाएगा।