‘रत्ती भर’ यह शब्द आया कहां से और इसका मतलब क्या होता है...

 प्रकृति द्वारा दिए गए इस "गूंजा" नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता.. अरविंद चित्रांश

     पूर्वांचल! भारतीय घरों में लगभग एक मुहावरे का इस्तेमाल ‘रत्ती भर’ शब्द हर जगह कहीं न कहीं सुनने को मिलता है, कभी किसी पर गुस्से में लोग कहते हैं कि तुम्हें – रत्ती भर भी शर्म नहीं आई? लेकिन क्या इस रत्ती का मतलब जानने की कोशिश की  है? आखिर यह शब्द आया कहां से और इसका मतलब क्या होता है जबकि रत्ती का इस्तेमाल सोना, हीरा-जेवरात के भार को मापने के लिए भी किया जाता था. बहुत बार हम रत्ती का मतलब -थोड़ा या ,कम समझ लेते हैं लेकिन इसकी वास्तविक परिभाषा बिल्कुल ही अलग है।

     पूर्वांचल के जाने-माने प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षक, प्रमुख सांस्कृतिक/सामाजिककर्मी अरविंद चित्रांश ने कहा कि जानकर यह आश्चर्य होगा कि रत्ती एक पौधा है और रति के दाने काले और लाल रंग के होते हैं. ज़्यादातर पहाड़ों में पाए जाने वाले रति के पौधे को आम भाषा में ‘गूंजा ‘ कहा जाता है. मटर की फली जैसे इस के दाने को छूने पर मोतियों की तरह से कड़ा मालूम होगा जो पकने के बाद पेड़ों से गिरता रहता है. रत्ती भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में मापन के किसी भी आधुनिक यंत्र से ज्यादा विश्वासनीय है,. 

      इसका पता अपने आसपास के सुनार या जौहरी से भी लगा सकते हैं, इसकी फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो लेकिन जब भी  इसके अंदर के बीजों  का वजन करेंगे,तब हमेशा यह एक समान ही दिखेगा। इसमें 1 मिलीग्राम का भी फर्क कभी नहीं पड़ता है. इंसानों की बनाई गई मशीन पर तो कभी-कभी भरोसा उठ भी जाए और यंत्र से गलती हो भी जाए लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं. प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है.