गणतंत्र दिवस पर कल दिल्ली स्तिथ लाल किला पर धर्म विशेष का झंडा फहराने वाले होश में रहें क्योंकि आज का भारत चूं-चूं का मुरब्बा नहीं कि जिसे आप खा जाएंगे या टुकड़ों में विभक्त कर देंगे. आज भगत सिंह की आत्मा भी रो रही होगी क्योंकि उन सहित सभी क्रांतिकारियों ने ऐसे भारत की कल्पना कभी भी नहीं की होगी। खासकर वैसे कौम के लोगों से जिनकी राष्ट्र प्रेम की गाथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पन्नों में भरी पड़ी है। मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसी देशभक्त कौम राष्ट्र विरोधी तत्वों में कैसे शामिल हो सकती है?
खासकर भारत सरकार के साथ-साथ भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों से मेरा निवेदन है कि देश में एकता बनाये रखने में आप सत्तासीन सरकार की मदद करें और सकारात्मक राजनीति का भाग बनें अर्थात् जो जहां गलत है उसका विरोध करें। सही मुद्दों पर सरकार का समर्थन भी करें। जय हिंद!