जयपुर। 10 महीनों से स्कूलों की फीस का लेकर चला आ रहा गतिरोध अभी तक समाप्त नही हुआ है, " संयुक्त अभिभावक संघ ने निजी स्कूलों पर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश ना मानने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से कोर्ट के आदेश की पालना करवाने की मांग की है। "
प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि 18 दिसम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने स्कूलों और अभिभावकों पर सुनवाई पूरी करते हुए आदेश दिए थे कि जिन अभिभावकों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लास स्टडी करवाई है तो वह कैपिसिटी बिल्डिंग के रूप में 60 फीसदी ट्यूशन फीस जमा करवाएंगे, साथ ही माननीय हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि स्कूल खुलने के बाद सीबीएसई बोर्ड स्कूल 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल सकेंगे और आरबीएसई बोर्ड 60 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल सकेंगे, जिन्होंने ऑनलाइन क्लास अटेंड नही की है उनको फीस जमा नही करवानी है।
अगर फीस को लेकर कोई विवाद होता है तो स्कूलों को सर्व प्रथम पीटीए का गठन करना होगा और उसके बाद एसएलएफसी का गठन कर एसएलएफसी के समक्ष सारे खर्चे रखकर फीस डिसाइड करनी होगी साथ ही स्कूल के सारे खर्चे सार्वजनिक करने होंगे। किन्तु स्कूल संचालक हाईकोर्ट के आदेश ना मानकर फीसों में इजाफा कर कुल फीस में से 60 और 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल रहे है। साथ जिन बच्चों ने ऑनलाइन क्लास अटेंड ही नही की है उन बच्चों से भी फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे है। केवल यही नही निजी स्कूल संचालक ना पीटीए का गठन कर रहे है और ना एसएलएफसी बना रहे है बल्कि पिछले साल की एसएलएफसी को माध्यम बनाकर फीसों में इजाफा कर अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे है।
अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि 18 दिसम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट ने फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करने की बात भी कही थी किन्तु कोई भी स्कूल संचालक फीस एक्ट 2016 को लागू नही कर रहा है और ना ही राज्य सरकार व शिक्षा विभाग माननीय राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की पालना करवा रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री से मांग करते है कि वह हाईकोर्ट के आदेश की पालना करवाये। इस संदर्भ में संयुक्त अभिभावक संघ के पदाधिकारी सोमवार को मुख्य संचेतक महेश जोशी से भी मुलाकात करेंगे और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देंगे।