नेताजी सुभाष चंद्र बोस हर जाति, वर्ग के सर्वमान्य नेता थे - अजीत सिन्हा

     नेताजी सुभाष सेना के कमांडर - इन - चीफ और प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सर्वमान्य नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125 वीं जयंती के अवसर पर अपने तमाम साथियों और सहयोगियों की ओर से उन्हें याद करते हुए यह कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस पूरे राष्ट्र के एक सर्वमान्य नेता थे जिन्हें भारत के सभी जातियों, सम्प्रदायों, वर्गों, पंथों का समर्थन प्राप्त था , यहां तक कि उन्होंने मजदूर आंदोलन का भी नेतृत्व किया, जिससे उस समय के सबसे बड़े उद्योगपति टाटा समूह को भी पहली बार राष्ट्र में मजदूरों के लिए बोनस सिस्टम लागू करना पड़ा था. भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने अंग्रेजों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया। बाद में अंग्रेजों ने लिखित रूप से यह माना कि वे गाँधी जी के लाठी के भय से भारत छोड़कर भागने पर मजबूर नहीं हुये थे अपितु नेताजी सुभाष चंद्र बोस के युद्ध के शंखनाद से ही भारत छोड़े थे।

(नेताजी सुभाष चंद्र बोस)
     आपका जन्म सन् 1897 में 23 जनवरी को उड़ीसा के कटक में कायस्थ कुलीन परिवार में श्रीमती प्रभावती देवी के मातृत्व में और पिता जानकीनाथ बोस की छत्रछाया में हुआ था. नौ भाई - बहनों में अपने माता - पिता की पाँचवी सन्तान थे. लालन - पालन बहुत ही उच्चतम श्रेणी में हुआ. आपकी स्कूलिंग भी बहुत ही हाई स्टैंडर्ड में हुई. आपकी  उच्चतम शिक्षा बी. ए. ( आॅनर्स) तक हुई. आप अपने ज़माने के आई. सी.एस. टॉपर थे लेकिन आपने उच्चतम प्रशासनिक सेवा को लात मारकर राष्ट्र सेवा के लिए निकल पड़े।  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शिखर के योद्धाओं में गिने जाने लगे. आपके द्वारा दिया गया "जय हिंद" का नारा आज भारत का राष्ट्रीय नारा है. "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा" का नारा तत्कालीन समय क्रांति की ज्वाला को धधकाने में आग में घी का काम किया। 
     देश की कितने माताओं ने अपने लाल को यहां तक कि इकलौते बेटे को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए आपको हर्ष के साथ सुपुर्द किया। आपने उन्हें आजाद हिंद फौज में शामिल कर अंग्रेजों की सरकार के विरुद्ध राष्ट्र स्वतंत्रता हेतु उद्वेलित किया। आजाद हिंद फौज के सुप्रीम कमांडर होने से पहले आपने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की अध्यक्षता स्वीकार की लेकिन गाँधी जी से मतभेद होने की वज़ह से आपने काँग्रेस से त्यागपत्र दे दिया और स्वयं के नेतृत्व में 1939 में फॉरवर्ड ब्लॉक राजनीतिक पार्टी का भी गठन किया। आप पर अपने भाई शरतचंद्र बोस और भतीजा शिशिर चंद्र बोस का स्नेह अद्वितीय था और वे लोग स्वतंत्रता संग्राम में आपकी भरपूर मदद किया करते थे। आपने गुप्त रूप से विवाह अपनी निजी सचिव विदेशी महिला एमिली शेकल से किया। जो केवल आपके प्रति ही नहीं अपितु अपने देश और भारत के प्रति भी वफादार थी. आप दोनों ने एक नन्हीं सी बेटी को जन्म दिया जिसका नामकरण आपने अनीता बोस के रूप में किया। 

     लेकिन दुःख की बात यह रही कि जिस भारत के लिये आपने लड़ाई लड़ी उस देश के कुछ जयचंदों (गद्दारों) ने अपने स्वार्थ और सत्ता लोलुपता की वज़ह से आपको धोखे से या तो मौत के घाट उतार दिया या आपको अदृश्य रहने पर मजबूर कर दिया।  देश के लोगों को आपके एक्सीडेंटल मौत की कहानी सुना दी गई. करीब सत्तर सालों तक आपकी स्मृति को लोगों के मानस से मिटाने का प्रयास किया गया लेकिन "देश की जनता आपको न भूली है और न ही भूलेगी" क्योंकि आपने अमरत्व को प्राप्त किया है और देशवासियों को आपके अमरत्व पर नाज़ है. वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके जन्म दिवस को "पराक्रम दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की है. जिसका भारत की जनता द्वारा हार्दिक रूप से स्वागत किया गया लेकिन दुःख की बात यह है कि अभी तक कतिपय आजादी के बाद के किसी भी शासक ने आपके संबंध में छिपे रहस्यों पर से पर्दा उठाने की जहमत नहीं उठाई। ऐसा लगता है ना ही किसी में हिम्मत ही है परन्तु नेताजी सुभाष सेना अपने प्रस्तावित राजनीतिक बैनर नेताजी सुभाष पार्टी के तले आपके लिये और भारतीय जनमानस की संतुष्टि हेतु इन्साफ की लडाई लड़ती रहेगी l जय हिंद